Sadguru Aniruddha Bapu

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रामरक्षा २२ - मानवी जीवनयात्रा के अत्युच्च मार्गदर्शक - त्यागमूर्ति ‘सौमित्र’ लक्ष्मण | Aniruddha Bapu

रामरक्षा २२ - मानवी जीवनयात्रा के अत्युच्च मार्गदर्शक - त्यागमूर्ति ‘सौमित्र’ लक्ष्मण | Aniruddha Bapu

सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ‘मुखं सौमित्रिवत्सल:’ इस पंक्ति पर विवेचन जारी रखते हुए, उसके और कुछ सुंदर पहलुओं को उजागर करते हैं, जिनका हमारे जीवन से ठेंठ संबंध है।

रामरक्षा प्रवचन २० - जीवन का वास्तविक यज्ञ कौनसा है? और क्या अध्यात्म वाक़ई कठिन है? । Aniruddha Bapu

रामरक्षा प्रवचन २० - जीवन का वास्तविक यज्ञ कौनसा है? और क्या अध्यात्म वाक़ई कठिन है? । Aniruddha Bapu

सद्गुरु अनिरुद्ध बापू - ‘अध्यात्म यह ज़रा भी कठिन नहीं है, हम बस्स् ग़लत संकल्पनाओं को मन में पकड़कर उस आसान अध्यात्म को ख़्वामख़्वाह कठिन बनाकर रखते हैं’ इसका एहसास हमें करा देते हैं।

रामरक्षा प्रवचन-१८ | कौसल्यापुत्र राम ही मेरी दृष्टि की रक्षा क्यों करते हैं?

रामरक्षा प्रवचन-१८ | कौसल्यापुत्र राम ही मेरी दृष्टि की रक्षा क्यों करते हैं?

कौसल्या के पुत्र रहनेवाले श्रीराम ही हमारी दृष्टि की रक्षा करते होने के कारण हमारी दृष्टि भी माता कौसल्या की तरह होनी चाहिए, यानी कैसी, यह सद्गुरु अनिरुद्धजी यहाँ स्पष्ट करते हैं।

रामरक्षा प्रवचन-१७ | भालं दशरथात्मज: - मन पर क़ाबू रखने का आसान मार्ग |

रामरक्षा प्रवचन-१७ | भालं दशरथात्मज: - मन पर क़ाबू रखने का आसान मार्ग |

रामरक्षा प्रवचन - मन को नियंत्रण में कैसे रखा जायें, इसका रहस्य ही मानो इस ‘भालं दशरथात्मज:’ पंक्ति में है, यह बताकर सद्गुरु बापूजी उस रहस्य को उजागर करते हैं। 

रामरक्षा प्रवचन-१४| श्रीराम समेत जानकीमाता तथा लक्ष्मणजी का एकत्रित ध्यान भी आवश्यक

रामरक्षा प्रवचन-१४| श्रीराम समेत जानकीमाता तथा लक्ष्मणजी का एकत्रित ध्यान भी आवश्यक

सद्गुरु अनिरुद्ध बापू श्रीराम समेत ही जानकीमाता एवं लक्ष्मणजी का एकत्रित ध्यान करने की आवश्यकता को भी रामरक्षा पर आधारित इस प्रवचन में समझाते हैं।

रामरक्षा प्रवचन-१३ | श्रीराम का संपूर्ण चरित्र यानी ‘मानव कैसे आचरण करें’ इसका आदर्श

रामरक्षा प्रवचन-१३ | श्रीराम का संपूर्ण चरित्र यानी ‘मानव कैसे आचरण करें’ इसका आदर्श

हमारे व्यक्तिगत एवं सामाजिक स्तर पर भी भगवान का कार्य कैसे चलता है, यह स्पष्ट करते समय, श्रीराम का संपूर्ण चरित्र यानी ‘मानव कैसे आचरण करें’ इसका आदर्श है यह सद्गुरू अनिरुद्ध बापू बताते हैं |

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