Sadguru Aniruddha Bapu

Category - Pravachans of Bapu



रामरक्षा २३ - त्यागमूर्ति लक्ष्मण - लक्ष्मणरेखा,त्याग एवं रामप्रेम का अन्योन्य संबंध | Aniruddha Bapu

रामरक्षा २३ - त्यागमूर्ति लक्ष्मण - लक्ष्मणरेखा,त्याग एवं रामप्रेम का अन्योन्य संबंध | Aniruddha Bapu

सद्गुरु अनिरुद्धजी हमें बताते हैं - लक्ष्मणजी को सबसे प्रिय हैं श्रीराम के चरण, इमलिए हमें भी वे सर्वाधिक प्रिय होने चाहिए|

रामरक्षा २२ - मानवी जीवनयात्रा के अत्युच्च मार्गदर्शक - त्यागमूर्ति ‘सौमित्र’ लक्ष्मण | Aniruddha Bapu

रामरक्षा २२ - मानवी जीवनयात्रा के अत्युच्च मार्गदर्शक - त्यागमूर्ति ‘सौमित्र’ लक्ष्मण | Aniruddha Bapu

सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ‘मुखं सौमित्रिवत्सल:’ इस पंक्ति पर विवेचन जारी रखते हुए, उसके और कुछ सुंदर पहलुओं को उजागर करते हैं, जिनका हमारे जीवन से ठेंठ संबंध है।

रामरक्षा प्रवचन २१ - लक्ष्मणमाता सुमित्रा - श्रेयस तथा प्रेयस को चुनने की शक्तिदात्री | Aniruddha Bapu

रामरक्षा प्रवचन २१ - लक्ष्मणमाता सुमित्रा - श्रेयस तथा प्रेयस को चुनने की शक्तिदात्री | Aniruddha Bapu

सद्गुरु अनिरुद्ध बापू हमें जीवन में सबकुछ ‘श्रेयस’ (आध्यात्मिक अच्छी बातें) और ‘प्रेयस’ (व्यावहारिक अच्छी बातें) प्राप्त होने में सुमित्राजी की भूमिका किस प्रकार अहम है, यह स्पष्ट करते हैं।

रामरक्षा प्रवचन २० - जीवन का वास्तविक यज्ञ कौनसा है? और क्या अध्यात्म वाक़ई कठिन है? । Aniruddha Bapu

रामरक्षा प्रवचन २० - जीवन का वास्तविक यज्ञ कौनसा है? और क्या अध्यात्म वाक़ई कठिन है? । Aniruddha Bapu

सद्गुरु अनिरुद्ध बापू - ‘अध्यात्म यह ज़रा भी कठिन नहीं है, हम बस्स् ग़लत संकल्पनाओं को मन में पकड़कर उस आसान अध्यात्म को ख़्वामख़्वाह कठिन बनाकर रखते हैं’ इसका एहसास हमें करा देते हैं।

रामरक्षा प्रवचन १९ - भक्ति प्रगल्भ करने की मास्टर-की | Aniruddha Bapu | Ram Raksha Pravachan

रामरक्षा प्रवचन १९ - भक्ति प्रगल्भ करने की मास्टर-की | Aniruddha Bapu | Ram Raksha Pravachan

सद्गुरु अनिरुद्ध बापूजी रहस्य को उजागर करते हैं कि प्रभु श्रीराम जब मानवी अवतार लेकर आते हैं, तब स्वयं भी नवविधा भक्ति का पालन कैसे करते हैं, और उसकी शुरुआत वे श्रवणभक्ति से कैसे करते हैं।

रामरक्षा प्रवचन-१८ | कौसल्यापुत्र राम ही मेरी दृष्टि की रक्षा क्यों करते हैं?

रामरक्षा प्रवचन-१८ | कौसल्यापुत्र राम ही मेरी दृष्टि की रक्षा क्यों करते हैं?

कौसल्या के पुत्र रहनेवाले श्रीराम ही हमारी दृष्टि की रक्षा करते होने के कारण हमारी दृष्टि भी माता कौसल्या की तरह होनी चाहिए, यानी कैसी, यह सद्गुरु अनिरुद्धजी यहाँ स्पष्ट करते हैं।

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