Sadguru Aniruddha Bapu

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रामरक्षा प्रवचन २९ | भक्ति, प्रेम तथा समर्पण का मनोहारी संगम यानी श्रीरामभक्त भरत

रामरक्षा प्रवचन २९ | भक्ति, प्रेम तथा समर्पण का मनोहारी संगम यानी श्रीरामभक्त भरत

सद्गुरु अनिरुद्ध बापू यहाँ भरत जी ने किये हुए इस विश्व के पहले पादुकापूजन के सर्वोच्च महत्त्व को विशद करते हैं | वास्तविकता का भान कभी भी न छोड़नेवाले भरत जी ये अनुकरण के हिसाब से हमारी ‘पहुँच में आ सकनेवाले’ हैं |

रामरक्षा प्रवचन -२७ | लक्ष्मणजी के प्रेम से खिलनेवाला रामधर्म का सौम्य प्रकाश

रामरक्षा प्रवचन -२७ | लक्ष्मणजी के प्रेम से खिलनेवाला रामधर्म का सौम्य प्रकाश

सद्गुरु बापू हमें बिलकुल आसान शब्दों में समझाकर बताते हैं - धर्म यानी वास्तविक रूप से क्या है? हमारा मूल धर्म कौनसा है? ‘धर्म और भगवान के बीच निश्चित रूप से क्या नाता है?

रामरक्षा २२ - मानवी जीवनयात्रा के अत्युच्च मार्गदर्शक - त्यागमूर्ति ‘सौमित्र’ लक्ष्मण | Aniruddha Bapu

रामरक्षा २२ - मानवी जीवनयात्रा के अत्युच्च मार्गदर्शक - त्यागमूर्ति ‘सौमित्र’ लक्ष्मण | Aniruddha Bapu

सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ‘मुखं सौमित्रिवत्सल:’ इस पंक्ति पर विवेचन जारी रखते हुए, उसके और कुछ सुंदर पहलुओं को उजागर करते हैं, जिनका हमारे जीवन से ठेंठ संबंध है।

सद्गुरु अनिरुद्ध बापूंनी ‘रामरक्षा’ प्रवचन २ मध्ये मंत्रदेवता, मंत्राची दिव्य शक्ती आणि ‘रामरक्षा’ला स्तोत्रमंत्र का म्हणतात याचा सोपा उलगडा केला आहे.

सद्गुरु अनिरुद्ध बापूंनी ‘रामरक्षा’ प्रवचन २ मध्ये मंत्रदेवता, मंत्राची दिव्य शक्ती आणि ‘रामरक्षा’ला स्तोत्रमंत्र का म्हणतात याचा सोपा उलगडा केला आहे.

रामरक्षा प्रवचन २ मध्ये अनिरुद्ध बापू ‘मंत्रदेवता’ची दिव्य शक्ती, ‘स्तोत्रमंत्र’चे रहस्य व ‘श्री सीता-रामचंद्रो देवता’चा अर्थ नामजपासह श्रद्धा-सबुरी जागृत होते हे समजावतात

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