आद्यब्रह्मणस्पति सूक्त का अर्थात् ऋग्वेद के प्रथम मंडल के १८वें सूक्त का विवरण
ऋग्वेद के आद्यब्रह्मणस्पति सूक्त का सरल विवरण – सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू के लेख से।
ऋग्वेद के आद्यब्रह्मणस्पति सूक्त का सरल विवरण – सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू के लेख से।
In the Indian kirtan tradition, the story of Shree Mahaganapati’s ‘Andhakasur Aakhyaan’ – a wonderful tale of devotion, motherly love, and divine valor
भारतीय कीर्तनपरंपरेतील श्रीमहागणपतीच्या ‘अंध:कासुर आख्यानाची कथा – भक्ती, मातृप्रेम आणि दैवी साहसाची अद्भुत कहाणी
गणेश जी का स्वागत एक प्रिय पारिवारिक सदस्य की तरह करें, प्रेमपूर्वक नैवेद्य अर्पित करें, बिना किसी प्रतिस्पर्धा के आरती करें, और जब वे विदा लें, तो भावपूर्वक कहें - अगले साल जल्दी आना!
मंगलमूर्ती मोरया - गणेशाचे स्वागत आप्तासारखे करा, प्रेमाने नैवेद्य अर्पा, स्पर्धेविना आरती म्हणा व जाताना मनापासून म्हणा - पुढच्या वर्षी लवकर या!