वैदिक गणपति
ऋग्वेद और अथर्ववेद में वर्णित वैदिक गणपति के स्वरूप को सद्गुरु अनिरुद्ध बापू के अग्रलेख के माध्यम से जानिए।
ऋग्वेद और अथर्ववेद में वर्णित वैदिक गणपति के स्वरूप को सद्गुरु अनिरुद्ध बापू के अग्रलेख के माध्यम से जानिए।
नैवेद्य के रूप में मोदक अवश्य अर्पण करें और प्यार से स्वयं भी खायें, परन्तु मोद का अर्थ है आनंद, यह न भूलें। परमात्मा और अन्य लोगों को आनंद हो ऐसा व्यवहार करना ही सर्वश्रेष्ठ मोदक है।'
गणेश जी का स्वागत एक प्रिय पारिवारिक सदस्य की तरह करें, प्रेमपूर्वक नैवेद्य अर्पित करें, बिना किसी प्रतिस्पर्धा के आरती करें, और जब वे विदा लें, तो भावपूर्वक कहें - अगले साल जल्दी आना!
सद्गुरु श्रीअनिरुद्ध बापू (डॉ. अनिरुद्ध जोशी) का श्रीगणपति पर आधारित अग्रलेख अब ब्लॉग पर उपलब्ध है! वेद, पुराण और संत साहित्य से उद्भूत गणेश तत्वज्ञान – श्रद्धावानों के लिए प्रेरणादायक और सार्थक मार्गदर्शन।