रामरक्षा २३ - त्यागमूर्ति लक्ष्मण - लक्ष्मणरेखा,त्याग एवं रामप्रेम का अन्योन्य संबंध | Aniruddha Bapu
सद्गुरु अनिरुद्धजी हमें बताते हैं - लक्ष्मणजी को सबसे प्रिय हैं श्रीराम के चरण, इमलिए हमें भी वे सर्वाधिक प्रिय होने चाहिए|
सद्गुरु अनिरुद्धजी हमें बताते हैं - लक्ष्मणजी को सबसे प्रिय हैं श्रीराम के चरण, इमलिए हमें भी वे सर्वाधिक प्रिय होने चाहिए|
सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ‘मुखं सौमित्रिवत्सल:’ इस पंक्ति पर विवेचन जारी रखते हुए, उसके और कुछ सुंदर पहलुओं को उजागर करते हैं, जिनका हमारे जीवन से ठेंठ संबंध है।
सुन्दरकाण्ड, अनुष्टुप छंद, वाल्मिकी ऋषी, हनुमंताची भक्ती आणि भक्तीने रामाशी एकरूप होण्याचा मार्ग – अनिरुद्ध बापूंच्या रामरक्षा प्रवचन ३ मधून सविस्तर जाणून घ्या.
सद्गुरु अनिरुद्ध बापूजी रहस्य को उजागर करते हैं कि प्रभु श्रीराम जब मानवी अवतार लेकर आते हैं, तब स्वयं भी नवविधा भक्ति का पालन कैसे करते हैं, और उसकी शुरुआत वे श्रवणभक्ति से कैसे करते हैं।
अनिरुद्ध बापूंच्या प्रवचनातून सीताशक्ती (तृप्ती) व रामाचा पुरुषार्थ समजून घ्या; तुलना-भीतीपासून मुक्त होऊन प्रेरणा, ओज आणि साधना वाढवण्याचे मार्ग जाणून घ्या.