रामरक्षा प्रवचन-१० | ध्यान किसका करें, ध्यान कब और कैसे करें और क्यों करें?

 

 

‘ध्यान’ यह उपासना के प्रत्येक अंग में आवश्यक माना गया है। रामरक्षा का ध्यानमन्त्र गहाराई के साथ समझाते हुए सद्गुरु श्रीअनिरुद्ध बापू हमें आगे ले जा रहे हैं। दिनांक २० जनवरी २००५ के रामरक्षा के प्रवचन में, ‘वामाङ्कारूढसीतामुखकमलमिलल्लोचनं’ यह रामरक्षा के ध्यानमन्त्र का ‘शिखर’ मानी गयी पंक्ति समझाते हुए सद्गुरु बापू - ‘ध्यान किसका करें, ध्यान कब और कैसे करें और क्यों करें’ यह स्पष्ट करते हैं।  

हम अपने आसपास देखते हैं, कई बार लोग शिकायत करते हुए दिखायी देते हैं कि हमारे द्वारा इतनी उपासना की जाने के बावजूद भी, इतना स्तोत्रपठण किये जाने के बावजूद भी हमें अपेक्षित परिणाम दिखायी नहीं देते। इसका कारण, कई बार उस उपासना के - स्तोत्र के प्रारंभ में जो ध्यान करना होता है, वह ध्यान क्यों और कैसे गलत पद्धति से किया गया होता है, यह समझाते हुए, ध्यान कैसे किया जाना चाहिए, यह भी सद्गुरु अनिरुद्ध स्पष्ट करते हैं। 

साथ ही सद्गुरु बापू प्रवचन में विभिन्न उदाहरणों के साथ स्पष्ट करते हैं कि रामरक्षा के ध्यानमन्त्र की इस पंक्ति के माध्यम से बुधकौशिक ऋषि हमसे कैसे सुस्पष्ट रूप से कह रहे हैं कि ये भगवान, ये परमात्मा स्वयं किसका ध्यान करते हैं और भक्त ध्यान कैसे करें और क्यों करें?  

हमारे द्वारा किया जा रहा ध्यान हममें क्या परिवर्तन ला सकता है, यह समझाते हुए सद्गुरु अनिरुद्ध बापू - उनके परिचित एक लडके का उदाहरण देते हैं कि कैसे आसपास की परिस्थिति में कुछ बदलाव करने से ढाई वर्ष में ही उस लडके में सकारात्मक परिवर्तन होता गया।  

अन्त में, ध्यानमन्त्र की इस पंक्ति के संदर्भ से सद्गुरु बापू यह भी स्पष्ट करते हैं कि हम भक्तों को सीतामैया से क्या सीखना चाहिए।