Sadguru Aniruddha Bapu

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रामरक्षा प्रवचन-१८ | कौसल्यापुत्र राम ही मेरी दृष्टि की रक्षा क्यों करते हैं?

रामरक्षा प्रवचन-१८ | कौसल्यापुत्र राम ही मेरी दृष्टि की रक्षा क्यों करते हैं?

कौसल्या के पुत्र रहनेवाले श्रीराम ही हमारी दृष्टि की रक्षा करते होने के कारण हमारी दृष्टि भी माता कौसल्या की तरह होनी चाहिए, यानी कैसी, यह सद्गुरु अनिरुद्धजी यहाँ स्पष्ट करते हैं।

रामरक्षा प्रवचन-१७ | भालं दशरथात्मज: - मन पर क़ाबू रखने का आसान मार्ग |

रामरक्षा प्रवचन-१७ | भालं दशरथात्मज: - मन पर क़ाबू रखने का आसान मार्ग |

रामरक्षा प्रवचन - मन को नियंत्रण में कैसे रखा जायें, इसका रहस्य ही मानो इस ‘भालं दशरथात्मज:’ पंक्ति में है, यह बताकर सद्गुरु बापूजी उस रहस्य को उजागर करते हैं। 

सद्गुरु अनिरुद्ध बापूंनी ‘रामरक्षा’ प्रवचन २ मध्ये मंत्रदेवता, मंत्राची दिव्य शक्ती आणि ‘रामरक्षा’ला स्तोत्रमंत्र का म्हणतात याचा सोपा उलगडा केला आहे.

सद्गुरु अनिरुद्ध बापूंनी ‘रामरक्षा’ प्रवचन २ मध्ये मंत्रदेवता, मंत्राची दिव्य शक्ती आणि ‘रामरक्षा’ला स्तोत्रमंत्र का म्हणतात याचा सोपा उलगडा केला आहे.

रामरक्षा प्रवचन २ मध्ये अनिरुद्ध बापू ‘मंत्रदेवता’ची दिव्य शक्ती, ‘स्तोत्रमंत्र’चे रहस्य व ‘श्री सीता-रामचंद्रो देवता’चा अर्थ नामजपासह श्रद्धा-सबुरी जागृत होते हे समजावतात

रामरक्षा प्रवचन-१६ | रक्षा कवच का रहस्य - शिरो मे राघव: पातु | Aniruddha Bapu | Ram Raksha Pravachan

रामरक्षा प्रवचन-१६ | रक्षा कवच का रहस्य - शिरो मे राघव: पातु | Aniruddha Bapu | Ram Raksha Pravachan

सद्गुरु अनिरुद्ध बापूजी रक्षा कवच का एक बहुत बड़ा रहस्य उजागर करते हैं कि यह रक्षा कवच बोलते समय हमारी मनोभूमिका कैसी होनी चाहिए, जिससे हमें सर्वाधिक फ़ायदा होगा | साथ में भगवान श्रीराम और उसके विशेषणों का आध्यात्मिक अर्थ भी समझाते हैं |

रामरक्षा प्रवचन-१५ | अध्यात्म में ‘१ से ९९’ से भी ‘९९ से १००’ के बीच अधिक दूरी

रामरक्षा प्रवचन-१५ | अध्यात्म में ‘१ से ९९’ से भी ‘९९ से १००’ के बीच अधिक दूरी

अध्यात्म में ‘१ से ९९ के बीच जितना फ़ासला है, उससे बहुत ज़्यादा फ़ासला ९९ से १०० के बीच है’ इस महत्त्वपूर्ण सत्य का एहसास करा देते समय सद्गुरु अनिरुद्धजी - विश्वामित्र ऋषि, दुर्वास मुनि और शतानिक मुनि (अश्वत्थामा)  इन बहुत ही उच्चपद को प्राप्त हुए ऋषियों के उदाहरण देते हैं।

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