Sadguru Aniruddha Bapu

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A Mother’s Testimony of Sadguru Aniruddha Bapu’s Grace During Pregnancy Complications

A Mother’s Testimony of Sadguru Aniruddha Bapu’s Grace During Pregnancy Complications

A heartfelt experience of a mother who, amidst pregnancy complications and other child’s illness, witnessed the grace of Sadguru Aniruddha Bapu. A touching story of faith, surrender, and miraculous blessings.

रामरक्षा प्रवचन १९ - भक्ति प्रगल्भ करने की मास्टर-की | Aniruddha Bapu | Ram Raksha Pravachan

रामरक्षा प्रवचन १९ - भक्ति प्रगल्भ करने की मास्टर-की | Aniruddha Bapu | Ram Raksha Pravachan

सद्गुरु अनिरुद्ध बापूजी रहस्य को उजागर करते हैं कि प्रभु श्रीराम जब मानवी अवतार लेकर आते हैं, तब स्वयं भी नवविधा भक्ति का पालन कैसे करते हैं, और उसकी शुरुआत वे श्रवणभक्ति से कैसे करते हैं।

अनिरुद्ध बापूंच्या ‘रामरक्षा प्रवचन ३’मध्ये ‘अनुष्टुप छंद’चे कथेद्वारे उलगडलेले रहस्य आणि ‘सुन्दरकाण्डचे खरे सौदर्य कोणते?’ हे सोप्या शब्दांत सांगितले आहे.

अनिरुद्ध बापूंच्या ‘रामरक्षा प्रवचन ३’मध्ये ‘अनुष्टुप छंद’चे कथेद्वारे उलगडलेले रहस्य आणि ‘सुन्दरकाण्डचे खरे सौदर्य कोणते?’ हे सोप्या शब्दांत सांगितले आहे.

सुन्दरकाण्ड, अनुष्टुप छंद, वाल्मिकी ऋषी, हनुमंताची भक्ती आणि भक्तीने रामाशी एकरूप होण्याचा मार्ग – अनिरुद्ध बापूंच्या रामरक्षा प्रवचन ३ मधून सविस्तर जाणून घ्या.

रामरक्षा प्रवचन-१५ | अध्यात्म में ‘१ से ९९’ से भी ‘९९ से १००’ के बीच अधिक दूरी

रामरक्षा प्रवचन-१५ | अध्यात्म में ‘१ से ९९’ से भी ‘९९ से १००’ के बीच अधिक दूरी

अध्यात्म में ‘१ से ९९ के बीच जितना फ़ासला है, उससे बहुत ज़्यादा फ़ासला ९९ से १०० के बीच है’ इस महत्त्वपूर्ण सत्य का एहसास करा देते समय सद्गुरु अनिरुद्धजी - विश्वामित्र ऋषि, दुर्वास मुनि और शतानिक मुनि (अश्वत्थामा)  इन बहुत ही उच्चपद को प्राप्त हुए ऋषियों के उदाहरण देते हैं।

रामरक्षा प्रवचन-१४| श्रीराम समेत जानकीमाता तथा लक्ष्मणजी का एकत्रित ध्यान भी आवश्यक

रामरक्षा प्रवचन-१४| श्रीराम समेत जानकीमाता तथा लक्ष्मणजी का एकत्रित ध्यान भी आवश्यक

सद्गुरु अनिरुद्ध बापू श्रीराम समेत ही जानकीमाता एवं लक्ष्मणजी का एकत्रित ध्यान करने की आवश्यकता को भी रामरक्षा पर आधारित इस प्रवचन में समझाते हैं।

रामरक्षा प्रवचन-१३ | श्रीराम का संपूर्ण चरित्र यानी ‘मानव कैसे आचरण करें’ इसका आदर्श

रामरक्षा प्रवचन-१३ | श्रीराम का संपूर्ण चरित्र यानी ‘मानव कैसे आचरण करें’ इसका आदर्श

हमारे व्यक्तिगत एवं सामाजिक स्तर पर भी भगवान का कार्य कैसे चलता है, यह स्पष्ट करते समय, श्रीराम का संपूर्ण चरित्र यानी ‘मानव कैसे आचरण करें’ इसका आदर्श है यह सद्गुरू अनिरुद्ध बापू बताते हैं |

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