रामरक्षा प्रवचन-१२ | श्रीराम का ‘चरित’ यानी क्या? वह किस परदे पर दिखायी देगा?

 

 

रामरक्षा का ‘ध्यानमंत्र’ पूरा हुआ। यह ध्यानमंत्र ठीक से समझ लेने के बाद ही रामरक्षा का अध्ययन करने के लिए उचित मनोभूमिका सिद्ध होती है। अब शुरू होती है ‘रामरक्षा’, जिसकी पहली ही पंक्ति है - ‘चरितं रघुनाथस्य शतकोटिं प्रविस्तरम्। एकैकं अक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्॥’

दिनांक ०३ फ़रवरी २००५ को किये रामरक्षा पर आधारित प्रवचन में, उपरोक्त पंक्ति का सरलार्थ - ‘रघुनाथ का चरित्र, ‘रघु’कुल के नाथ का चरित्र, जिसका विस्तार सौ करोड़ श्लोकों जितना, यानी कि अनंत है’ यह सरलार्थ बताते समय ही, सद्गुरु अनिरुद्ध बापू सर्वप्रथम हमें - ‘रघु’ यानी कौन और इस रघु का ‘कुल’ यानी क्या, यह महत्त्वपूर्ण बात समझाकर बताते हैं।

हमें लगता है कि श्रीराम का चरित्र यानी  - ‘राजा दशरथ एवं रानी कौसल्या का पुत्र रहनेवाले श्रीराम, रामनवमी के दिन जन्मे और आगे चलकर उनका सीताजी के साथ ब्याह हुआ’ वगैरा वगैरा इतना ही। लेकिन यह भौतिक चरित्र यानी श्रीराम के चरित्र का केवल एक छोटा-सा भाग है, यह स्पष्ट करके सद्गुरु अनिरुद्ध, ‘चरित’ शब्द का वास्तविक अर्थ समझाकर बताते हैं। ‘श्रीराम का चरित अनंत है, जिसका एक अक्षर भी हमारे महापापों का विनाश करने के लिए समर्थ है। लेकिन कब?’ इस रहस्य को सद्गुरु बापू यहाँ उजागर करते हैं और इसीके साथ, ‘अक्षर’ यानी लिखित अक्षर (Alphabet) नहीं यह स्पष्ट करते हुए, ‘अक्षर’ शब्द का वास्तविक अर्थ भी सद्गुरु अनिरुद्ध समझाते हैं।

अनंत होनेवाला, श्रीराम का यह चरित्र ‘अविनाशी’ है और वह आज भी घटित हो रहा है, यह बताते हुए ही सद्गुरु बापू हमें, ‘यह रामायण हम किस परदे पर देख सकते हैं और यह परदा तैयार कैसे करना है’ इसका भी मार्गदर्शन करते हैं।