'करुणात्रिपदी' की महिमा तथा आज के दौर में उसके पठन की आवश्यकता
सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू के पितृवचन से करुणात्रिपदी का महत्व और आज के समय में इसका उच्चारण करने की आवश्यकता।

सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू के पितृवचन से करुणात्रिपदी का महत्व और आज के समय में इसका उच्चारण करने की आवश्यकता।

करुणात्रिपदी के श्लोकों का अर्थ – श्रीगुरुदत्त की कृपा से भय, पाप और दुखों का शमन करने वाली भक्तिपूर्ण प्रार्थना।

वेदवेदान्त के जानकार तथा जानेमाने अभ्यासक वेदमूर्ति आदरणीय श्री गणेश्वरशास्त्री द्रविड गुरुजी ने परमपूज्य सद्गुरु श्रीअनिरुद्ध बापूजी से व्यक्तिगत विशेष भेंट की।

जो कोई प्रेमपूर्वक वैशाख पूर्णिमा के दिन यह उपासना करेगा, उसके घर में इस दिन उसके सद्गुरु, श्रीहनुमानजी के साथ पधारते ही हैं, यह सद्गुरु श्रीअनिरुद्धजी का वचन है।

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त्याच अनुषंगाने आता सद्य परिस्थिती ध्यानात घेऊन संस्थेने सर्व तीर्थक्षेत्र (श्रीअनिरुद्ध गुरुक्षेत्रम्-खार, गुरुकुल-जुईनगर, गोविद्यापीठम्, श्रीअतुलितबलधाम