वेदमूर्ति आदरणीय श्री गणेश्वरशास्त्री द्रविड गुरुजी की परमपूज्य सद्गुरु श्रीअनिरुद्ध बापूजी से हुई विशेष भेंट

वाराणसी स्थित वेदाचार्य, वेदमूर्ति आदरणीय श्री गणेश्वरशास्त्री द्रविड गुरुजी ने सोमवार दि. २६ मई २०२५ को परमपूज्य सद्गुरु श्रीअनिरुद्ध बापूजी से व्यक्तिगत विशेष भेंट की। 

वेदवेदान्त के मूर्धन्य विद्वान और इस क्षेत्र में जिनका अधिकार सभी को मान्य है, ऐसे वेदमूर्ति आदरणीय श्री गणेश्वरशास्त्री द्रविड गुरुजी को आज भला कौन नहीं जानता! वेदवेदान्त के क्षेत्र में मार्गदर्शक विशेषज्ञ के रूप में सुविख्यात द्रविड गुरुजी का नाम घर-घर में पहुँचा, वह अयोध्या के श्रीराम मंदिर में भगवान रामलल्ला की प्रतिष्ठापना के समय! राममंदिर के भूमिपूजन का और इस पावन प्रतिष्ठापना विधि का शुभमुहूर्त द्रविड गुरुजी ने ही निश्चित किया था। काशीविश्वेश्वर मंदिर कॉरिडॉर भूमिपूजन विधि के लिए भी द्रविड गुरुजी से ही मार्गदर्शन लिया गया था।

साथ ही, सर्वोच्च न्यायालय में चले ‘रामसेतु’ विषयक मुक़दमे में, ‘रामसेतु’ यह काल्पनिक बात न होकर, वह वास्तविक निर्माणकार्य होने के, विभिन्न प्राचीन धर्मग्रंथों में दिये प्रमाण, सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत करने में भी उनका अहम योगदान था। हाल ही में अप्रैल २०२५ में उन्हें भारत सरकार द्वारा, माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी के हाथों ‘पद्मश्री’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

ऐसे इन ऋषितुल्य गणेश्वरशास्त्री द्रविड गुरुजी ने दि. २६ मई २०२५ के दिन, मुंबई स्थित खार के ‘श्रीदत्त निवास’ आकर परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापूजी से व्यक्तिगत विशेष भेंट की।

सर्वप्रथम द्रविड गुरुजी ने ‘श्रीदत्त निवास’ स्थित ‘अनिरुद्ध गुरुक्षेत्रम्’ में माँ जगदंबा के दर्शन किये। उस समय ‘अनिरुद्ध गुरुक्षेत्रम्’ में उनका औक्षण कर तथा पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया गया।

 

 

तत्पश्चात् द्रविड गुरुजी ने सद्गुरु अनिरुद्ध बापूजी से भेंट की। इस समय गुरुजी के शिष्य भी उनके साथ थे। सप्तश्रृंगगड के वे.शा.सं. श्री. धनंजय दीक्षित गुरुजी भी उपस्थित थे। प्राथमिक चर्चा के बाद, केवल द्रविड गुरुजी और सद्गुरु बापूजी इन दोनों की ही व्यक्तिगत रूप से भेंट हुई; उस समय अन्य कोई भी उपस्थित नहीं था।

 

 

सद्गुरु बापूजी के साथ हुई इस व्यक्तिगत विशेष भेंट के बाद, द्रविड गुरुजी ने फिर से अनिरुद्ध गुरुक्षेत्रम् में कुछ देर बैठकर ‘श्रीनवनाथ भक्तिसार’ ग्रंथ का पठन किया। फिर माँ जगदंबा के दर्शन करके उन्होंने अपने अगले कार्यक्रम के लिए प्रस्थान किया।


यह भेंट यानी सनातन भारत की श्रेष्ठ वैदिक धरोहर और सद्गुरु अनिरुद्ध बापूजी का अद्वितीय आध्यात्मिक कार्य इनका समसमा संयोग ही था।