रामरक्षा प्रवचन - 7 |‘धृतशरधनुषं’:‘रामबाण’ यानी क्या? श्रीराम उसे कब छोड़ते हैं?

किसी भी बीमारी पर, समस्या पर, संकट पर अंतिम प्रभावशाली उपाय, इस अर्थ से ‘रामबाण उपाय’ इन शब्दों का व्यवहार में प्रयोग किया जाता है। सद्गुरु अनिरुद्ध बापू १६ दिसम्बर २००४ को, ‘धृतशरधनुषं’ इस रामरक्षा की पंक्ति पर प्रवचन करते हुए, ‘रामबाण’ यानी निश्चित रूप से क्या है, यह विस्तारपूर्वक समझाते हैं।

‘रामबाण’ यह ऐसे व्यावहारिक अर्थ से हालाँकि बहुत ही प्रचलित शब्दप्रयोग है, फिर भी प्रभु श्रीराम के बाण के संदर्भ में बात करते समय बापू - ‘रामबाण शब्द का निश्चित रूप से क्या अर्थ है? प्रभु श्रीराम का अमोघ रहनेवाला यह बाण कैसे काम करता है? वह छूटता कब है? उसके गुणधर्म कौनसे हैं? साथ ही, प्रभु श्रीराम के पवित्रतम चरणों पर अभिषेक करने के लिए सबसे पवित्र जल कौनसा है?’ ऐसे कई मुद्दों को गहराई से, लेकिन आसान शब्दों में समझाकर बताते हैं और यह करते समय ही, सभी के मन में भयजनक कौतुहल रहनेवाले - ‘शैतान यानी कौन’ इस संकल्पना को भी स्पष्ट करते हैं। उसी प्रकार, रामबाण के साथ ही, श्रीराम के असामान्य धनुष्य पर - ‘कोदंड’ पर भी बापू समर्पक विवेचन करते हैं।

क्या हमसे भक्ति हो पायेगी, यह मूलभूत प्रश्न कइयों के मन में उठता है। इस प्रश्न का उत्तर इस रामबाण विषयक विवेचन में से सद्गुरु बापू बहुत ही सुंदरता से एवं सहजता से हमें देते हैं। सबसे अन्त में अहम बात यानी, सभी पुरुषार्थों में से, हममें रहनेवाले किसी पुरुषार्थ में अगर अभाव उत्पन्न हुआ, तो उसे पूरा करने के लिए क्या करना चाहिए, यह भी इस पंक्ति के अनुषंग से सद्गुरु बापू हमें समझाकर बताते हैं।