रामरक्षा प्रवचन - 5 । कीलक यानी निश्चित रूप से क्या? श्रीमद्हनुमानकीलकम् का अर्थ क्या है?

 

‘श्रीमद्हनुमानकीलकम्’ यानी क्या और ‘श्रीमद्हनुमानकीलकम्’ यह रामरक्षा के प्रारंभिक चरण की पंक्ति, इस स्तोत्रमंत्र का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग कैसे है, यह दि. १८ नवम्बर २००४ के रामरक्षा पर आधारित प्रवचन में, सद्गुरु अनिरुद्ध बापू विस्तारपूर्वक बताते हैं।

  • ‘कीलक’ यानी क्या और ‘श्रीमद्‍हनुमानकीलकम्’ यानी निश्चित रूप से क्या?
  • हमारे जीवन की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण ‘चाबी’ कौन-सी है?  
  • सभी श्रद्धावानों का प्रिय होनेवाले श्रीहनुमानजी का रामरक्षा में क्या महत्त्व है और उनका आचरण मानव के लिए मार्गदर्शक कैसे और क्यों है? 
  • मानव जीवन में हमेशा क्या ग़लती करता है? और उसे कैसे टाला जा सकता है?
  • भक्तिमार्ग पर चलनेवाले के लिए ‘नवविधा भक्ति’ के विभिन्न भक्तिप्रकार कौनसे हैं?
  • भक्ति में और भक्तिमार्ग में सर्वोत्तम प्रगति कैसे की जा सकती है? 

ऐसे कई अहम सवालों के जवाब सद्गुरु बापू इस प्रवचन में हमें देते हैं। इस प्रकार व्यवस्थापन, विज्ञान एव॔ अध्यात्म से परिपूर्ण रहनेवाला जीवनशास्त्र ही सद्गुरु अनिरुद्ध बापू, रामरक्षा पर आधारित उनके प्रवचनों के माध्यम से हमारे सामने रखते हैं।