जहाँ प्रेम होता है वहाँ प्रेम से अपने आप जिम्मेदारी आ जाती है l जहाँ प्रेम होता है वहाँ जिम्मेदारी बोझ नहीं लगती, बल्कि उससे तृप्ति मिलती है l सांवेगिक बुद्धिमत्ता को पहचानकर मानव उससे प्रेम करने वाले व्यक्ति के प्रेम को प्रतिसाद यानी रिस्पाँड करे और प्रेम के साथ अपनी पारिवारिक एवं सभी प्रकार की जिम्मेदारियों को अचूकता से निभाये l प्रेम और जिम्मेदारी के बीच के रिश्ते के बारे में परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापु ने अपने दि. 8 मई 2014 के हिंदी प्रवचन में महत्त्वपूर्ण विवेचन किया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥