शुक्रवार दिनांक ३१ अगस्त २०१२ के रोज़ रात के ८.४५ बजे बापूजी (अनिरुद्धसिंह) का श्रीअनिरुद्धगुरुक्षेत्रम् में आगमन हुआ | उनहोंने अपने साथ कुल १२ ज्योतिर्लिंगों का प्रतिनिधित्व करनेवाले, संगमरमर के १२ श्रीबानलिंग लाये और उनहोंने वे एक थाली में रखे | तत्पश्चात उनहोंने वह थाली धर्मासन पर रखी | इन बारह श्रीबनलिंगों में से एक बनलिंग का आकर बड़ा एवं भिन्न रंग था और जैसी निशानी श्रीमाहादुर्गेश्वर की है वैसी ही निशानी इस श्रीबनलिंग की है |
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श्रीमहादुर्गेश्वराच्या ठिकाणी असलेली खूण श्रीबाणलिंगावर दाखविताना (अनिरुद्धसिंह) |
धर्मासन पर इस थाली के बगल में दूसरी थाली में श्रीजगन्नाथ उत्सव के समय (२००२-२००३) पूजा किये हुए १०८ शालिग्रामों में से ३ शालिग्राम बापूजी ने पूजा के लीये रखे | यह १०८ शालिग्राम श्रीजगन्नाथ उत्सव के बाद श्रीगोविद्यापीठं में रखे गए थे | कुछ दिनों पूर्व यह शालिग्राम श्रीअनिरुद्ध गुरुक्षेत्रम में लाये गए हैं और उनकी नित्य पूजा तुलसीपत्र अर्पण करके की जाती है |
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श्रीबाणलिंग |
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श्रीजगन्नाथ उत्सवातील शाळीग्राम |
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बापूजी ने (अनिरुद्धसिंह) इन शालिग्रामों पर तुलसीपत्र अर्पण किये और १२ श्रीबांलिंगों पर बेलपत्र अर्पण करके उनकी पूजा की | पूजा के पश्चात वहां पर उपस्थित श्रद्धावान बपुभक्तों के साथ बापूजी (अनिरुद्धसिंह) ने श्रीमहादुर्गेश्वर का "ॐ नमो भगवते श्रीमहादुर्गेश्वराय नमः ||" यह जप किया |
श्रीअनिरुद्ध गुरुक्षेत्रम् में रखे हुए "१२ श्री बाणलिंग" और "३ शाळीग्राम"