वैशाख पूर्णिमा उपासना - हिंदी

वैशाख पूर्णिमा उपासना
१) प्रथम पीढे/चौकी पर शाल या इसके समान वस्त्र बिछाएं। इस पर अपने सद्‍गुरु एवं हनुमानजी की फोटो रखें।
२) सद्‍गुरु की फोटो को सुगंधित या प्राप्त फूलों का हार पहनाएं, तथा हनुमानजी की फोटो को रुई के पत्तों का हार पहनाएं।
३) दीपक एवं अगरबत्ती जलाकर हाथ जोडें और सद्‍गुरु तथा हनुमानजी का ध्यान करें।

४) तत्पश्चात निम्नलिखित में से कोई भी एक स्तोत्र ११ बार पढें -

  १. ११ बार क्लेशनिवारक श्री अनिरुद्धकवच
  २. ११ बार श्रीहनुमान चलीसा
  ३. ११ बार श्री अनिरुद्ध चलीसा
  ४. ११ बार त्रिविक्रम के १८ वचन
  ५. ११ बार सद्‍गुरु श्रीसाईनाथजी के ११ वचन
  ६. ११ बार श्रीआदिमाता शुभंकरा स्तवन
  ७. ११ बार श्रीआदिमाता अशुभनाशिनी स्तवन
  ८. ११ बार श्रीहनुमान स्तोत्र (भीमरूपी महारुद्रा....)
  ९. ११ बार श्रीपंचमुखहनुमत्कवच

तदुपरांत....
१) आम का पन्हा (कैरी का शरबत),
२) कच्चा आम एवं भिगोई हुई चने की दाल पीसकर इसका प्रसाद अर्पण करें।

फिर लोटांगण (साष्टांग प्रणाम) करें। वृद्ध (बुज़ुर्ग) केवल खडे होकर प्रणाम करें तब भी भगवान को स्वीकार होगा। 
ब्राह्ममुहूर्त पर उपासना करना अगर संभव न हो, तो दिनभर में किसी भी समय उपासना की जा सकती है। जो कोई प्रेमपूर्वक वैशाख पूर्णिमा के दिन यह उपासना करेगा, उसके घर में इस दिन उसके सद्‍गुरु, श्रीहनुमानजी के साथ पधारते ही हैं, यह सद्‍गुरु श्रीअनिरुद्धजी का वचन है।

वैशाख पौर्णिमा उपासना - मराठी

Vaishakha Pournima Upasana