मानव को यह श्रद्धा रखनी चाहिए कि मैं भगवान से जुडा हुआ हूँ और भगवान दयालु एवं क्षमाशील हैं, वे मुझे सजा देने के लिए नहीं, बल्कि प्रेम से मेरा उद्धार करने आये हैं । भगवान से क्षमा अवश्य माँगिए, परंतु भगवान ने मेरा साथ छोड दिया है, ऐसा कभी भी मत मानना । भगवान से मुझे अन्य कोई भी अलग नहीं कर सकता, इस श्रद्धा के महत्त्व के बारे में परम पुज्य सद्गुरु श्रीअनिरुद्ध बापुने अपने २४ जुलाई २०१४ के हिंदी प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥