श्रीसाईसच्चरित पंचशील परिक्षा - पारितोषिक वितरण समारोह (Shree Saisatcharit Panchshil Exam)

त इतवार अनेक श्रध्दावानों को एक बहुत ही अनोखे समारोह में शामिल होने अवसर मिला। मैं भी उस में शामिल था। यह समारोह था श्रीसाईसच्चरित पर आधारित पंचशील परिक्षा के पारितोषिक वितरण का जिस में श्रीसाईसच्चरित पंचशील परिक्षा (Shree Saisatcharit Panchshil Exam) में Distinction प्राप्त एवं Rank Holder परिक्षार्थियों को पारितोषिक देकर सम्मानित किया गया। इस समारोह में इन परिक्षार्थियों का अभिनंदन करने हेतु श्रीहरिगुरुग्राम में ३००० से अधिक श्रध्दावान उपस्थित थे। मगर परिक्षार्थियों के लिये इससे भी बढकर खुशी की बात थी, स्वयं सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू की उपस्थिति में यह पारितोषिक प्राप्त करना। पारितोषिक वितरण के पश्चात बहुत ही सुरीले एवं सुंदर गीतों का कार्यक्रम, अनिरुध्दाज्‌ मेलडीज आयोजित किया गया था, जिस ने समारोह को चार चॉंद लगा दिए।

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बापू हमेशा कहा करते हैं कि, श्रीसाईसच्चरित मानव जीवनविकास के विज्ञान को स्पष्ट करनेवाला ग्रंथ है। बापू सभी परिक्षार्थियों को श्रीसाईसच्चरित पर आधारित परिक्षाओं के माध्यम से इसी जीवनविकास के विज्ञान के संदर्भ में मार्गदर्शन करते हैं।

यह पारितोषिक वितरण समारोह एक महत्वपूर्ण पहलू को दर्शाता है। सच्ची लगन से मेहनत करके परिक्षा में अच्छे गुण प्राप्त करनेवाले परिक्षार्थियों के लिए बताते हैं कि जीवन में अध्ययन, कार्य, मनोरंजन आदि. प्रत्येक बात की प्राथमिकता एवं क्रम को तय करने से जीवन का विकास करना सहज बन जाता है। इस कार्यक्रम के द्वारा बापू इसी आदर्श को रेखांकित करना चाहते हैं।

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यह कार्यक्रम सद्गुरुभक्ति और विश्वास की परिक्षा में प्राप्त हुई सफलता का उत्सव था। पर यहॉ सिर्फ भक्तिमय संगीत ही नहीं था, बल्कि सुरीले एवं मजेदार फिल्मी गीत भी इस में शामिल थें, जिसका आनन्द उपस्थित श्रद्धावानों ने लिया । इस से बापू हमें हमारे गृहस्थ जीवन का महत्व अधिक दृढता से समझाते हैं कि गृहस्थी यह परमार्थ प्राप्त करने का सर्वोत्कृष्ट साधन है। भक्तिमार्ग पर चलने क यह मतलब नहीं है कि हमें दिनभर केवल जप-जाप ही करते रहना है। हम मर्यादा में रहकर नए जमाने के सुख साधनों का आनंद उठाते हुए ईश्वर को याद कर सकते हैं।

समारोह के पश्चात जब बापू लौट रहे थे, तब श्रद्धावानों ने दो फिल्मी गीत गाकर उन्हें बिदा किया। वैसे वे गीत थे तो फिल्मी, मगर बापू के प्रति रहनेवाले प्रेम से जब वे गाए गए तो फिल्मी गीत भी भक्तिगीत ही लगने लगे थे। यही जादू है बापू के जीवनविकास मार्गदर्शन का, जो हमें सिखाया जाता श्रीसाईसच्चरित के माध्यम से।

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इसलिए, मैं यह कहना चाहूंगा कि बापू के श्रद्धावान मित्रों को अपने व्यस्त एवं तनावपूर्ण जीवन से थोडा समय निकलकर जीवन को विकसित एवं समृध्द करनेवाली श्रीसाईसच्चरित पर आधारित पंचशील परिक्षा में भाग लेना चाहिए।

ll हरि ॐ ll ll श्रीराम ll ll मैं अंबज्ञ हूं ll