वेबसाईट का परिचय - भाग १

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‘‘इंटरनेट मॉम्स की तो बात ही कुछ और है’’.....यह पंक्तियाँ हमे टिव्हीपर आनेवाली एक अ‍ॅडव्हर्टाईजमेंट मे बार बार सुनने को मिलती हैं। इसमें माँ अपने बेटे को पढा रही है। बच्चा समझता है कि मेरे subject के बारे मे मॉम को क्या पता होगा! पर उस ‘स्मार्ट मॉम’ ने इंटरनेट के जरिये पहले से ही जानकारी ले रखी थी। जब बच्चे को यह बात समझती है, तो उसके चेहेरे का रंग ही बदल जाता है। इसलिये यह अ‍ॅड देखने में बहुत मजा आता है। पर इसका मतलब बच्चे को पढाने के लिये उस मॉम को भी इंटरनेट की जरुरत महसूस हुई। और अपनी गरज के लिये वो औरत इंटरनेट की दुनिया से अपनेआप ‘कनेक्ट’ हो गई। और यहाँ उस मॉम की मददगार हुई एक वेबसाईट! येस! वेबसाईट.....जहाँ किसी भी प्रकार की जानकारी संगठित कर, एक ही जगह उपलब्ध कराई जाती है।

 

Websiteकुछ समय पहले यह मानना था की वेबसाईट केवल कंपनीज् तथा बडे उद्योगसमूहों के लिये ही बनाई जाती है। कुछ साल पहले काफी हद तक यह सच भी था। लेकिन अब समय बहुत बदल चुका है। जिस तरह मोबाईल फोन घर घर पहुँच गये और हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गये; उसी प्रकार उतनीही सहजता से वेबसाईट बनाना अब आम बात हो गई है। अब वेबसाईट केवल व्यवसाय क्षेत्र के लिये नही बल्कि अपने व्यक्तिगत पसंद के लिये भी खास तौर से बनाई जा रही है। अत: वेबसाईट केवल कंपनीयों के लिये बनाई जाती है, यह संकल्पना बहुत पीछे छूट गई है। विविध विषयों की जानकारी देनेवाली अनगिनत वेबसाईट्स अब इंटरनेट पर उपलब्ध है। पुराने जमाने मे दादी या नानी के बटुए में हर चीज का नुस्खा होता था। इसिलिये वह बटुआ खजाना कहलाया जाता था। आज इंटरनेटपर भी हर किसी विषय की जानकारी होती है, तो यह भी एक खजाना ही हुआ।

 

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Courtesy: staticflickr.com

 

हर इन्सान का कार्यक्षेत्र अलग होता है। इसी कारण हर किसी का कॉम्प्युटर क्षेत्र या आयटी क्षेत्र से संबंध नही होता। या फिर रोज कॉम्प्युटर पर काम करनेवालों को भी वेबसाईट बनाने की जानकारी नही होती। अत: ‘वेबसाईट बनाते कैसे है?’ यह सवाल उठना स्वाभाविक है। लेकिन वेबसाईट बनाने के लिये कॉम्प्युटर में निपुण होना अब आवश्यक नही रहा। बदलते वक्त के साथ आ रही नई कॉम्प्युटर तकनीकियों के कारण वेबसाईट बनाना एकदम आसान और ‘युजर फ्रेंडली’ हो गया है। इसी वजह से कॉम्प्युटर क्षेत्र से न जुडे हुए लोगों के लिये भी खुद की वेबसाईट बनाना एकदम आसान हो गया है। किसी भी इन्सान के लिये नई चीज सीखते वक्त थोडी हिचकिचाहट होती है। लेकीन कॉम्प्युटर के बारे में ये बाते भी आसान हो जाती है। यहाँ हर चीज कैसे करनी है, इसके लिये पूरी जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध है। जैसे के चाय कैसे बनाते है, दाल-चावल बनाने की विधी ये जानकारी देनेवाली वेबसाईट्स भी इंटरनेट पर मौजूद है। चौक गये ना! लेकीन यह हकीकत है।

अगर हम ढूंढने निकलेंगे तो यकीन नही होगा इतनी भिन्न भिन्न प्रकार की जानकारी देनेवाली वेबसाईट्स है। मिसाल के तौर पे नल रिपेअर कैसे करते है, गाडी की मरम्मत, घर को रंग देने से पहले क्या सावधानी बरतनी चाहिये, फ्यूज कैसे बदलते है, मेकअप टिप्स, कपडों के बारे में जानकारी, पूजा की तैयारी कैसे करते है इस जैसी अनगिनत विषयोंकी जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध है। और भी बहुत से उदाहरण दिये जा सकते है। कितने सारे पन्ने भर जायेंगे लेकिन सूची खतम नही होगी। और इन विभिन्न विषयों की जानकारी के लिये है...वेबसाईट्स। और यह वेबसाईट्स अत्यंत सहजता से बनाई गई है। यह वेबसाईट्स बनानेवाले सभी लोग कॉम्प्युटर क्षेत्र से जुडे हुए नही है। मतलब वेबसाईट बनाना आसान है, इतना तो यकीन हो गया। है ना? तो फिर अब हम वेबसाईट केसे बनाते है, यह देखते है। मजे की बात तो यह है की, इसकी जनकारी भी इंटरनेट पर उपलब्ध है। अब तक हमने जाना की किसी एक विषय की जानकारी जहाँ एकत्रित यानि संकलित की जाती है, उसे वेबसाईट कहते है।

लेकिन वेबसाईट का सही मायने मे क्या मतलब है? अगर बही का एक कागज हो, तो उसे पन्ना (पेज) कहते है। उसी तरह से इंटरनेट पेज को ‘वेब पेज’ कहा जाता है। और ऐसे १००-२०० कागज एकसाथ बांध दे, तो? उसे बही या नोटबुक कहते है। इसी प्रकार जब बहुत सारी वेब पेजेस इंटरनेट पर किसी एक जगह (सेंट्रल लोकेशन) संकलित हो जाते है, वो वेबसाईट होती है। एक वेबसाईट में सैंकडो वेब पेजेस होती है। नोटबुक का सबसे पहला पेज जैसे ‘कव्हर पेज’ होता है, उसी तरह वेबसाईट का पहला पेज ‘होम पेज’ माना जाता है। होम पेज वेबसाईट की पहचान हो सकती है। वेबसाईट बनाने के लिये सबसे पहले कुछ चीजोंका तय आवश्यक होता है। अब हम इन बेसिक घटकों की जानकारी लेंगे.....

 

१. वेब होस्टिंग (Web Hosting)website कामकाज या दफ्तर में आने-जाने का समय बचाने के लिये कई लोग नजदीकी इलाके में रहना पसंद करते है। लेकिन हर कोई ऑफिस के नजदीक घर खरीद नही सकता। तो ऐसे में कुछ लोग किराये पर घर लेते है। किराये की रकम महिने या साल के अनुसार निश्‍चित की जाती है।

इसीप्रकार अगर मुझे वेबसाईट बनानी है तो मुझे वेबपर जगह यानि के ‘स्पेस’ लेनी पडती है। इसके लिये होस्टिंग कंपनीज् होती है। इन कंपनियों के सुरक्षित सर्व्हर (कम्प्युटर) जैसे जगहों का उपयोग हम अपनी वेबसाईट के लिये कर सकते है। इस के लिए सालाना हमें रक़म (चार्जेस) देनी पडती है। हमारे वेबसाईट की सुरक्षा कि जिम्मेदारी भी यह कंपनियां लेती है। हालांकि कई कंपनियां यह सुविधा मोफत प्रदान करती है।

क्रमश:

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