Sadguru Aniruddha Bapu

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रामरक्षा प्रवचन-१५ | अध्यात्म में ‘१ से ९९’ से भी ‘९९ से १००’ के बीच अधिक दूरी

रामरक्षा प्रवचन-१५ | अध्यात्म में ‘१ से ९९’ से भी ‘९९ से १००’ के बीच अधिक दूरी

अध्यात्म में ‘१ से ९९ के बीच जितना फ़ासला है, उससे बहुत ज़्यादा फ़ासला ९९ से १०० के बीच है’ इस महत्त्वपूर्ण सत्य का एहसास करा देते समय सद्गुरु अनिरुद्धजी - विश्वामित्र ऋषि, दुर्वास मुनि और शतानिक मुनि (अश्वत्थामा)  इन बहुत ही उच्चपद को प्राप्त हुए ऋषियों के उदाहरण देते हैं।

रामरक्षा प्रवचन-१४| श्रीराम समेत जानकीमाता तथा लक्ष्मणजी का एकत्रित ध्यान भी आवश्यक

रामरक्षा प्रवचन-१४| श्रीराम समेत जानकीमाता तथा लक्ष्मणजी का एकत्रित ध्यान भी आवश्यक

सद्गुरु अनिरुद्ध बापू श्रीराम समेत ही जानकीमाता एवं लक्ष्मणजी का एकत्रित ध्यान करने की आवश्यकता को भी रामरक्षा पर आधारित इस प्रवचन में समझाते हैं।

रामरक्षा प्रवचन-१३ | श्रीराम का संपूर्ण चरित्र यानी ‘मानव कैसे आचरण करें’ इसका आदर्श

रामरक्षा प्रवचन-१३ | श्रीराम का संपूर्ण चरित्र यानी ‘मानव कैसे आचरण करें’ इसका आदर्श

हमारे व्यक्तिगत एवं सामाजिक स्तर पर भी भगवान का कार्य कैसे चलता है, यह स्पष्ट करते समय, श्रीराम का संपूर्ण चरित्र यानी ‘मानव कैसे आचरण करें’ इसका आदर्श है यह सद्गुरू अनिरुद्ध बापू बताते हैं |

सद्गुरू श्री अनिरुद्ध बापूंच्या रामरक्षावरील पहिल्या प्रवचनाची एक झलक

सद्गुरू श्री अनिरुद्ध बापूंच्या रामरक्षावरील पहिल्या प्रवचनाची एक झलक

राम नामाच्या शक्तीतून जन्मलेला एक सर्वोच्च मंत्र आहे. असे कोणतेही पाप नाही जे राम नाम नष्ट करू शकत नाही, आणि असा कोणताही पापी नाही ज्याचा राम नाम उद्धार करू शकत नाही.

सदगुरु श्री अनिरुद्ध बापूजी के रामरक्षा पर प्रथम प्रवचन की एक झलक

सदगुरु श्री अनिरुद्ध बापूजी के रामरक्षा पर प्रथम प्रवचन की एक झलक

ऐसा कोई पाप नहीं है जिसे राम का नाम नष्ट न कर सके, और ऐसा कोई पापी नहीं है जिसे राम का नाम उद्धार न कर सके

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