Sadguru Aniruddha Bapu

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मोद-क

मोद-क

नैवेद्य के रूप में मोदक अवश्य अर्पण करें और प्यार से स्वयं भी खायें, परन्तु मोद का अर्थ है आनंद, यह न भूलें। परमात्मा और अन्य लोगों को आनंद हो ऐसा व्यवहार करना ही सर्वश्रेष्ठ मोदक है।'

मोद-क

मोद-क

मोदक नैवेद्य म्हणून जरूर अर्पण करा व आवडीने स्वतःही भक्षण करा परंतु मोद म्हणजे आनंद हे विसरू नका. परमात्म्यास व इतरांस आनंद होईल असे वागणे, हाच सर्वश्रेष्ठ मोदक होय.'

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