रामरक्षा प्रवचन २९ | भक्ति, प्रेम तथा समर्पण का मनोहारी संगम यानी श्रीरामभक्त भरत
सद्गुरु अनिरुद्ध बापू यहाँ भरत जी ने किये हुए इस विश्व के पहले पादुकापूजन के सर्वोच्च महत्त्व को विशद करते हैं | वास्तविकता का भान कभी भी न छोड़नेवाले भरत जी ये अनुकरण के हिसाब से हमारी ‘पहुँच में आ सकनेवाले’ हैं |


