महागणपति तरल, सूक्ष्म और स्थूल तीनों रूपों में चैतन्य के प्रतीक हैं। वे वाणी, बुद्धि, संतुलन और धैर्य के अधिष्ठाता होकर मानव जीवन के संपूर्ण विकास का मार्ग प्रशस्त करते हैं।