Sadguru Aniruddha Bapu
पराम्बा पूजन (Paramba Poojan)

पराम्बा पूजन (Paramba Poojan)

अश्विन नवरात्रीतील सप्तमीचा दिवशी परमपूज्य बापूंच्या घरी मोठ्या आईचे पराम्बा पूजन केले जाते. बापू, नंदाई व सुचितदादांचे मोठ्या आईवरील नितांत प्रेम, तिच्या सहवासाची आणि तिला आळविण्याची नितांत आर्तता, ह्या सर्वांची अनुभूती ह्या दिवशी आम्ही सर्वांनी घेतली

सद्‍गुरू जसे आहे तसेच जाणत असतो (Sadguru knows everything just the way it is) - Aniruddha Bapu‬

सद्‍गुरू जसे आहे तसेच जाणत असतो (Sadguru knows everything just the way it is) - Aniruddha Bapu‬

(Sadguru knows everything-Aniruddha Bapu‬- शिष्याला पुढे काय होणार?, त्याच्या भाग्यात काय आहे?, त्याचा काय काय त्रास होऊ शकतो? हे कळू शकत नाही. परंतु ‘जे जसे आहे तसेच जाणत असतो’ हे सद्‍गुरुचे सर्वात मोठे सामर्थ्य आहे.

मॉं दुर्गा ! करुणा का विस्तार करो (Mother Durga! Expand Your Compassion) - Aniruddha Bapu‬ Hindi‬ Discourse 01 Jan 2015

मॉं दुर्गा ! करुणा का विस्तार करो (Mother Durga! Expand Your Compassion) - Aniruddha Bapu‬ Hindi‬ Discourse 01 Jan 2015

Mother Durga! Expand Your Compassion - श्री आदिशंकराचार्यजी ने भी कहा है कि पुत्र कुपुत्र हो सकता है पर मॉं कभी भी कुमाता नहीं हो सकती। हे मॉं दुर्गा! करुणा का विस्तार करो,

‘मैं हूँ’ यह त्रिविक्रम का मूल नाम है - भाग २ (‘ I Am ’ Is Trivikram's Original Name - Part 2) - Aniruddha Bapu‬ Hindi‬ Discourse 01 Jan 2015

‘मैं हूँ’ यह त्रिविक्रम का मूल नाम है - भाग २ (‘ I Am ’ Is Trivikram's Original Name - Part 2) - Aniruddha Bapu‬ Hindi‬ Discourse 01 Jan 2015

‘ I Am ’ Is Trivikram's Original Name - Part 2 - सकारात्मक सोच से भगवान से मांगना चाहिए। ‘मैं हूँ’ (‘ I Am ’) यह त्रिविक्रम का मूल नाम है, इसी नाम को अंबज्ञ कहते हैं

आरती- दुर्गे दुर्घट भारी  (प्रत्येक शब्द का अर्थ एवं सरलार्थ सहित) (Aarti Durge Durghat Bhari

आरती- दुर्गे दुर्घट भारी (प्रत्येक शब्द का अर्थ एवं सरलार्थ सहित) (Aarti Durge Durghat Bhari

Durge जय देवी जय देवी महिषासुरमर्दिनी । सुरवरईश्वरवरदे तारक संजीवनी ॥ धृ ॥ (जय- जय हो, देवी- देवी माँ, महिषासुरमर्दिनी- महिषासुर का, अशुभ का सर्वनाश करनेवाली, सुरवरईश्वरवरदे - सुर यानी देव, सुरवरों को यानी देवगणों को और ईश्वर (परमात्मा) को वर देनेवाली आदिमाता दुर्गा, तारक- तारणहार, संजीवनी- समग्रता से नया जीवन देनेवाली)। सरलार्थ: देवी माँ महिषासुरमर्दिनी की जय हो! अंबा, तुम ही सुरवरों को तथा ईश्वर (परमात्मा) को वर देती हो, आप ही तारक हो, आप ही संजीवनी हो।

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