श्रीशब्दध्यानयोग के बारे में जानकारी (The information about Shree Shabd Dhyanyog) - Aniruddha Bapu Pitruvachanam 15 Oct 2015
परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने अपने १५ अक्तूबर २०१५ के पितृवचनम् में श्रीशब्दध्यानयोग के बारे में जानकारी दी।
अनिरुद्ध बापू ने पितृवचन के दौरान यह बताया कि ‘श्री’ यानी आदिमाता। आदिमाता अदिति, जो परमेश्वर से दत्तगुरु से अभिन्न स्वरूप में रहती है, उसे अदिति कहते हैं, श्री आदिमाता के प्रथम स्वरूप को अदिति कहते हैं, वह जब प्रकट होती है तो उसे गायत्री कहते हैं।
यह जो श्री है उसके शब्द याने वेद, श्रीआदिमाता के शब्द यानी वेद। इस उपासना में कहो, आराधना में कहो, हम कहेंगे इस ध्यान योग में। इस ‘श्रीशब्दध्यानयोग’ में हर एक अक्षर, हर एक मंत्र यह वैदिक है। हमारे चार वेदो और उपनिषदों मे से यह ध्यानयोग बना हैं। हर एक चक्र का ब्रह्माण्ड, व्यक्तिगत स्वरूप की प्रतिमा यहाँ होगी।
जैसे कि, पहला चक्र है मूलाधार चक्र - इस चक्र के स्वामी गणेश है। गणेश के यानी ब्रह्मणस्पति के वैदिक मंत्रों से पूजन किया जायेगा। यानी मूलाधार चक्र का पूजन यहा किया जायेगा। जो व्यक्ति और समष्टि सहित है। सभी के मूलचक्र यहाँ प्रतिनिधित्त्व करेंगे।
परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू के द्वारा श्रीशब्दध्यानयोग के बारे में दी गयी जानकारी आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं।
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥