श्रीशब्दध्यानयोग (Shree Shabd-DhyanYog) - Aniruddha Bapu
परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने अपने १५ अक्तूबर २०१५ के पितृवचनम् में ‘श्रीशब्दध्यानयोग’ के बारे में बताया।
अनिरुद्ध बापू ने आज से शुरू किये हुए प्रथम पितृवचन के दौरान यह बताया कि ‘आज मी येथे आलो आहे सांगितल्याप्रमाणे, ते काहीतरी नवीन तयार करण्यासाठी. हम जो आज यहॉ मिल रहे हैं, एकही कारण से। हमें स्वस्तिक्षेम् संवादम् मिला, हमें श्रीश्वासम् में गुह्यसूक्तम् मिला, आज हमें क्या मिलनेवाला है? बहोत ही सुंदर! इसे आप उपासना कह सकते हैं, आराधना कह सकते हैं, पूजन कह सकते हैं, यज्ञ कह सकते हैं। Everything included। सब कुछ है इसमें। यह ऐसी एक चीझ है, बहोत ही सुंदर।
जो वैदिक काल में यही एक उपासना सब से श्रेष्ठ मानी जाती थी। जो भी बच्चा गुरुकुल में जाता था, उसे यही सिखाया जाता था और इसी के आधार से सब कुछ चलता था। वही वैदिक उपासना, ओरिजनल, यहां चालू हो रही है। आज मैं आप से सिर्फ बात करूंगा। आनेवाले गुरुवार को विजया दशमी की उपासना होगी। उसके बाद २९ अक्तूबर के गुरुवार से यह शुरू होने वाला है।
इसका नाम है- ‘ श्रीशब्दध्यानयोग ’। ‘ श्रीशब्दध्यानयोग ’, ‘ श्रीशब्दध्यानयोग ’। अब योग शब्द है, ध्यान शब्द है, भय रखने की कोई आवश्यकता नहीं है। बहोत ही सुंदर है। ब्रह्मर्षि अगस्त्यजी, उनकी सहधर्मचारिणी लोपामुद्रा, ब्रह्मर्षि वसिष्ठजी, उनकी पत्नी अरुंधती, ब्रह्मर्षि कश्यप, उनकी पत्नी अदितिमति और याज्ञवल्क्यजी इन सातों मिलकर इसका निर्माण किया। ‘ श्रीशब्दध्यानयोग ’ के बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥