साईनिवास होली पूर्णिमा शताब्दी उत्सव

साईनिवास

साईभक्तों के दिल में श्री साईसत्‌चरित इस ग्रंथ के प्रति बहुत ही आत्मीयता होती है। कई श्रद्धावान इस अपौरुषेय ग्रंथ का नियमित रूप से पारायण करते हैं। इस ग्रंथ का लेखन जिस वास्तु में किया गया, वह वास्तु अर्थात् श्री साईसत्‌चरितकार श्री. गोविंद रघुनाथ दाभोलकरजी (हेमाडपंत) का बांद्रा स्थित निवासस्थान - साईनिवास ।

श्रीसाईसत्‌चरित के ४०वें अध्याय में हम, सन १९१७ में श्री साईनाथजी की तसवीर के साईनिवास में हुए आगमन की और तब से शुरू हुए होली पूर्णिमा उत्सव की कथा पढ़ते हैं। हेमाडपंतजी श्री साईसत्‌चरित के ४०वें अध्याय में कहते हैं,

" तैंपासाव हा काळवर प्रत्येक होळीस ही तसबीर

     करवूनि घेई हे शिष्टाचार अष्टोपचार पूजेसह ॥१५९॥"

(तब से लेकर आज तक हर होली पूर्णिमा के दिन, यह तसवीर अष्टोपचार पूजन के साथ ये शिष्टाचार करा लेती है, ऐसा हेमाडपंतजी ने इस ओवी में कहा है।)

उस वर्ष से हर साल यह उत्सव यहाँ पर भक्तिमय वातावरण में मनाया जाता है। इस वास्तु का, यहाँ पर मनाये जानेवाले होली पूर्णिमा उत्सव का और यहाँ की श्रीसाईनाथजी की तसवीर का महत्त्व ‘साईनिवास’ इस डॉक्युमेंट्री में से यथोचित रूप में उजागर होता है; साथ ही, सद्‌गुरु अनिरुद्ध बापू के, साईनिवास के साथ रहनेवाले प्रेमपूर्ण संबंध के बारे में भी श्री. अप्पासाहब हमें उसमें बताते हैं ।

साईनिवास

हर वर्ष होली पूर्णिमा से पहले साईनिवास में श्री साईसत्‌चरित का पारायण किया जाता है। इस साल भी ९ मार्च को पारायण की शुरुआत होगी। पहले दिन २६ अध्याय और दूसरे दिन २६ अध्यायों का पठन किया जायेगा। ५३वें अध्याय का यानी अवतरणिका का पठन ११ मार्च की भोर को किया जायेगा। होली पूर्णिमा उत्सव के १०० वर्ष इस साल पूरे हो रहे हैं और इस उपलक्ष्य में एक विशेष पूजन का आयोजन किया गया है। सद्‍गुरु बापू के बतायेनुसार ११ मार्च २०१७ को यानी होली पूर्णिमा उत्सव के एक दिन पहले, सुबह ८:०० से लेकर रात के ८:०० बजे तक ‘ॐ कृपासिंधु श्री साईनाथाय नमः’ इस मन्त्र का १,००,००८ बार पठन किया जायेगा। इस पठन के दौरान श्री. अप्पासाहब दाभोलकर (सद्य:पिपादादा) एवं उनके परिजन श्री साईनाथ की "उस" तसवीर पर तुलसीपत्र एवं बिल्वपत्र अर्पण करेंगे। सभी श्रद्धावान इस पठन में सम्मिलित हो सकते हैं।

इस शताब्दी उत्सव के उपलक्ष्य में शनिवार २५ फ़रवरी २०१७ को श्री साईसत्‌चरित के ४०वें अध्याय का १०८ बार पठन किया गया। पठन के लिए श्री साईसत्‌चरित के ९ ग्रंथ रखे गये थे। साथ ही, १२ फ़रवरी २०१७ को श्रीपंचमुखहनुमत्कवच का १०८ बार तथा १९ फ़रवरी २०१७ को श्रीशिवपंचाक्षरी स्तोत्र का १०८ बार पठन किया गया।

१२ मार्च २०१७ को होली पूर्णिमा उत्सव के दौरान होलिकामाता का दोपहर १२:०० बजे विधिवत् पूजन कर होली प्रज्वलित की जायेगी। सभी श्रद्धावान श्री साईनिवास में दर्शन का लाभ उठा सकते हैं।

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