Sadguru Shree Aniruddha’s Pitruvachan (Part 1) – 21st February 2019
हरि ॐ
२१-०२-२०१९
हरि ॐ. श्रीराम. अंबज्ञ. नाथसंविध् नाथसंविध् नाथसंविध्.
‘रामा रामा आत्मारामा त्रिविक्रमा सद्गुरुसमर्था, सद्गुरुसमर्था त्रिविक्रमा आत्मारामा रामा रामा’ जो कोई भी यह जप करता है, मंत्रगजर करता है, (वह) भक्तिभावचैतन्य में रहने लगता है। कुछ लोगों के मन में प्रश्न उठा है। सही प्रश्न है - ‘बापू, यह मंत्रगजर तो सर्वश्रेष्ठ है, आपने बताया, मान्य है हमें Definitely। लेकिन ‘माँ’ का नाम नहीं है इसमें?’ यह मैंने पहले दिन ही बताया था कि (इसमें) पहला ‘रामा’ यह ‘भगवान राम’ के लिए है। और अभी तीन दिन हम लोगों ने एक ही जाप लिखा है ‘प्रत्यक्ष’ में - ‘ॐ रामायै नम:’। ‘रामायै’ यह माँ जगदंबा का नाम हैं, ‘राम’ यह प्रभु रामचंद्र का नाम हैं और ‘रामा’ अलग है। ‘रमा’ अलग है। ‘रमा’ यह विष्णु की पत्नी है, तो ‘रामा’ यह राम की माँ है, माँ जगदंबा है। उसी रूप से है और महत्त्वपूर्ण यह है कि त्रिविक्रम क्या है, यह हम लोगों ने जाना है। (जिसका) मस्तिष्क दत्तगुरु है, हृदय माँ जगदंबा है और हस्त हनुमंत है, वह त्रिविक्रम है। तो इस नाम में तीनों आ ही गये, ये दुसरी बात है। और तीसरी महत्त्वपूर्ण बात यह है की यह गजर जो है, यह मंत्रजप जो है, यह directly, ठेंठ, प्रत्यक्ष रूप में....indirectly नहीं, अप्रत्यक्ष रूप में नहीं, प्रत्यक्ष रूप में माँ जगदंबा के चरणों में ही अर्पित किया जाता है। कौन करता है? त्रिविक्रम करता है। और यह जप, यह गजर माँ को सबसे प्रिय है, O.K.? और वह जो त्रिविक्रम है, उसे भी यह जप उतना ही प्रिय है।
लेकिन हम लोगों के मन में एक सवाल उठता है कि ‘बापू, वह त्रिविक्रम कौनसा गजर करता होगा? वह कौनसा जप करता होगा?’ तो जानना चाहिये हम लोगों को कि स्वयंभगवान त्रिविक्रम जो नित्यजप करता है, नित्यगजर करता है, उसकी जो आराधना चलती है, उसे हम लोगों ने बहुत सालों से किया है। २०११ प्रसन्नोत्सव में बड़े ज़ोर से हम नाच रहे थे, गा रहे थे - ‘जयंति मंगला काली भद्रकाली कपालिनी, दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।’ तो यह जो जप है, यह त्रिविक्रम का अपने माँ के प्रति जप है और दत्तगुरु के नाम का वह हमेशा स्मरण करता रहता है।
तो अभी जल्द ही चंद कुछ दिनों में, यहाँ हम गुरुवार को ‘ॐ जयंति मंगला काली भद्रकाली कपालिनी, दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते’ यह जप होना शुरू हो जायेगा। यहाँ कॅसेट भी लगेगी, उसके साथ हर कोई ये जप करेगा। जो करना चाहता है ofcourse, nothing compulsory; और मैं सोच रहा हूँ कि यहाँ जो सप्तचक्रों का पूजन चलता है, तब यह गजर १०८ बार होगा, ‘जयंती मंगला काली....’। और वह होते समय सप्तचक्रों का पूजन होगा, [ohhh] [wow] Agreed? लेकिन उसके साथ साथ मेरा एक इरादा है। हर श्रद्धावान को यह पूजन करने का अवसर मिल सकता हैं। १०८ बार जप चलेगा ऊपर यहाँ पर....at one time, एक समय में १४ श्रद्धावान बैठकर सप्तचक्रों का पूजन कर सकते हैं, OK? और बाद में जप पूर्ण होने के बाद माँ जगदंबा के चरणों पर पुष्प यानी फूल अर्पण कर सकते हैं और उसकी जो दक्षिणा है वह मैं ५०१ रुपया रख रहा हूँ, क्योंकि वह हमारे बस की बात हैं। इससे ज़्यादा रखने की मेरी कोई इच्छा नहीं है। तो उसके लिये जो प्रोग्राम होगा, वह समीरदादा और उनके लोग बनायेंगे कि कहाँ नाम देने है, कहाँ रजिस्टर करना हैं, etc.। तो अभी जल्दी नहीं करना; जब से नाम देने होंगे, हम लोग यहाँ से आप को सूचना करेंगे।
अब माँ जगदंबा, जिसका एक नाम क्या है? - सप्तचक्रस्वामिनी। तो सप्तचक्रों की पूजा के साथ साथ माँ जगदंबा की पूजा भी अपने आप होती है; वह भी उसके ही महामंत्र के साथ, जो त्रिविक्रम को बहुत प्रिय है।
मैंने बार बार कहा है - I have got one principle in my life - 'Common Interest of Common Man'। जो मेरे रूम मे आता है, वह देखता होगा, वहाँ बोर्ड पर लिखा हुआ है बड़े अक्षरों में - 'Common Interest of Common Man' यानी क्या? यहाँ ‘Common’ का मीनिंग है - 'Basic'। 'Basic Interest of Common Man' means सामान्य इन्सान का मूलभूत हित। तो सर्वसामान्य इन्सान का मूलभूत हित जो है, वह करने के लिए मै यहाँ खड़ा हूँ....खड़ा हूँ, दौड़ रहा हूँ, चल रहा हूँ....जो भी कर रहा हूँ....Right? So कहीं कोई भी वंचित ना रहें । दस-दस रुपया भी हम लोग इकठ्ठा करते (बचाते) जायेंगे, तो दो सालों में पाँच सौ रूपये तो जरूर इकठ्ठा हो जायेंगे।
So सप्तचक्र की पूजा हम लोग सभी कर सकेंगे इसके आगे, बहुत जल्द ही समीरदादा सब arrangement करेंगे| यहाँ गजर होगा - ‘जयन्ती मंगला काली....’। ‘रामा रामा आत्मारामा....’ तो सर्वोच्च गजर है। ‘माँ’ ने निर्णय दिया है, तो यही भक्तिभाव चैतन्य है। उसमें डूबते ही रहेंगे, तैरते रहेंगे। और उसके साथ-साथ यह मंत्रगजर यहाँ हर गुरुवार को शुरू होगा। माँ जगदंबा की पूजा करने का अवसर हर गुरुवार को १४ लोगों को मिलेगा। And I tell you, there will be no partiality at all। वहाँ कोई पार्शालिटी नहीं की जाएगी। 'First Come-First Served' basis पर यह किया जाएगा। ‘यह पहचानवाला है, यह रिश्ते का है, यह कार्यकर्ता है, यह कार्यकर्ता नहीं है, यह नया है, यह पुराना है’ ऐसा नहीं होगा। लेकिन फिर भी, मुझे अगर लगेगा कि किसी को ज़्यादा ज़रूरत है, जल्दी करने की, तो मैं उसे उठाकर १००००वे नंबर से पहले १० में भी ला सकता हूँ और इसके लिए मुझे कोई किसी भी प्रकार की घूस नहीं दे सकता। That will be my decision only. समझे?
अभी एक और बात है। जो मैंने (अग्रलेख में) लिखा है, वह आप लोगों ने पढ़ा है, बराबर? अब समय आ चुका है। संस्कृत में एक वचन है - ‘शत्रु शेष ऋण शेष’ बाकी नहीं रहना चाहिए। ऋण यानि कर्ज़ा। शत्रु और ऋण इनका अंश भी बाकी नहीं रहना चाहिए। शत्रु को और कर्ज़े को पूरा का पूरा मिटा देना बहुत आवश्यक होता है। और....एक बार मैंने शब्द दिया.....तो दिया । बहुत साल पहले मैंने कहा था कि मुझे ‘यह गाँव’ बहुत अच्छा लगता है....Right? मैं कोई चीज़ भूलता नहीं कभी। लेकिन हम सभी लोगों को याद रखना हैं उन लोगों की कुर्बानी, जो चल रही है बहुत सालों से सीमाओं पर....Right? आवेश में आकर ‘हिंदुस्तान ज़िंदाबाद’ के नारे देने से कुछ नहीं होता। उसके बदले में माँ जगदंबा चरणों में हम लोग हररोज एक बार प्रार्थना करेंगे सिर्फ़ हमारे देश के लिए, तो वही बहुत होगा।
जो हम कर सकते हैं, हम करेंगे और मुझे जो करना है वह मैं करूँगा, Government को जो करना है वह government करेगी, आर्मी को जो करना है वह आर्मी करेगी। लेकिन फिर भी ध्यान में रखना, अब....ज़्यादा देर नहीं। O.k.? हम हमारी जिम्मेदारी अच्छे तरह से जानें, तो अच्छा होगा। देश सुस्थिति में है, तो देश का नागरिक सुस्थिति में रहता है। हमें स्वस्थ रहना है, तो देश का स्वास्थ्य देखना यह हमारी ज़िम्मेदारी है....Right? भक्तिभाव चैतन्य में रहनेवाला सोल्जर ही होता है, ध्यान में रखिये। जो हररोज सोलह माला करता है, वह very strong सोल्जर है इस देश का, यह ध्यान में रखिये। जो एक माला करता है, वह भी सोल्जर है। जो सोलह माला करता है, वह भी सोल्जर है। जो भक्तिभाव चैतन्य में रहता है, वह सचमुच सोल्जर है। यह ताकत कैसे काम में आती है, यह तुम नहीं जानते होंगे, तो क्या problem है? डॉक्टर के पास हम लोग जाते हैं, डॉक्टर गोली देता है। क्या हम जानते हैं, वो गोली कैसे काम करती है? खून से कैसे बहती है? खून में से कहाँ जाती है? कौनसे enzymes को stimulate करती है? नहीं, कुछ भी नहीं जानते। बस्स् गोली ले लेते हैं, ठीक हो जाते हैं। वैसे ही मंत्र का होता है। और गोली की बात देखी, तो मेडिसिन की जो गोली होती है, औषधी की जो गोली होती है, वह एक ही काम करती है, ज़्यादा से ज़्यादा दो काम करती है। मंत्र जो होता है, वह बहुत सारे काम कर सकता है। यानी क्या कहते हैं हम लोग? - ‘रामबाण औषधी’। हज़ारों बीमारियों पर एक दवा। वैसे ही यह मंत्रगजर जो है - ‘रामा रामा आत्मारामा....’ यह इतना सही है सबकुछ ठीक करने के लिए कि यह कुछ भी ठीक कर सकता है....Ok? जान लिया? So अब से, आज से हम लोग थोड़ा और ज़ोर से भक्तिरस में बहने लगेंगे।
नक्की? [नक्की] नक्की? [नक्की] नक्की? [नक्की] Love you all, Love you my children
हरि ॐ. श्रीराम. अंबज्ञ. जय जगदंब, जय दुर्गे। जय जगदंब, जय दुर्गे । जय जगदंब, जय दुर्गे।
॥ हरि: ॐ ॥ श्रीराम ॥ अंबज्ञ ॥ नाथसंविध्॥