‘रं’ बीज और मणिपुर चक्र
सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २० अप्रैल २०१७ के प्रवचन में ‘रं’ बीज और मणिपुर चक्र (Ram beej is the beej of Guru-Mantra and Manipur Chakra)’ इस बारे में बताया।
‘गुरुरेव परब्रह्म, गुरुरेव आत्मा’, हमारा आत्मा भी क्या है? गुरु की दी हुई भेंट है हमें, गुरु की यानी सद्गुरुतत्व की दी हुई भेट है हमें। हमारा जीवात्मा जो उन्नत होता रहता है, वो भी किसकी कृपा से? सिर्फ सद्गुरु-कृपा से उन्नत होता रहता हैं। इसीलिए जब तक हमारा ये फेथ है कि गुरु, मेरा जो गुरु है, मेरा सद्गुरु है, मेरे लिये सब कुछ कर रहा है, करेगा नहीं? कर रहा है और जो उचित है वही करेगा, मेरे लिये जो उचित है वही करेगा। पार्शलिटी भी करेगा, आपको धकेलके एक मैल के बदले में पाँच मैल फेंक देगा, फेंक देगा यानी भगा देगा कि जाओ पहले आ जाओ भाई, ओ.के।
लेकिन ये कब होता है? हमारा विश्वास और ये विश्वास कहाँ से उत्पन्न होता है मैंने बताया? इन तीन चक्रों के परस्पर सहकार्य से और इसीलिए हमें, हमें यानी सभी भारतीयों को लाखों वर्षों से क्या बताया जाता है? सबसे श्रेष्ठ क्या है? गुरुनाम है, गुरुमंत्र है और उसका बीज ‘रं’ है। हमें हमेशा गुरुमंत्र मिला है, उसका बीज क्या हैं? ‘रं’ है। जब भी हम उस गुरुमंत्र का पठन करते हैं तो समझिये मणिपुर चक्र जो है हमारा, वो क्या हो रहा है? विकसित हो रहा है, संपन्न हो रहा है।
उसमें जो भी दूषितता आयी थी, वो अभी जा रही है और मणिपुर चक्र जब शुद्ध होता है तो अपने आप नीचे के दो चक्र यानी स्वाधिष्ठान और मूलाधार चक्र भी अपने आप विकसित होने लगते हैं और अगर नहीं हो रहे हैं समझो हमारे कुछ कर्मवश, तो मणिपुर चक्र का स्वामी जो है श्रीराम, वो क्या करता है? वो आपको प्रेरित करता है कि आप मूलाधार चक्र के लिये जो आवश्यक उपासना है वो करें और जो स्वाधिष्ठान चक्र के लिये आवश्यक उपासना है या जो कर्म करना है वो करें। कर्म में आहार भी आ गया तो सब कुछ आ गया।
‘गुरुमंत्र का बीज ‘रं बीज और मणिपुर चक्र ' इस बारे में हमारे सद्गुरु श्री अनिरुद्ध ने प्रवचन बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।
ll हरि: ॐ ll ll श्रीराम ll ll अंबज्ञ ll