पंचमुखहनुमत्कवचम् विवेचन - १० (Panchamukha-Hanumat-kavacham Explanation - 10) - Aniruddha Bapu
परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने १६ मार्च २०१७ के पितृवचनम् में ‘पंचमुखहनुमत्कवचम्’ के बारे में बताया।
हम जब भगवान को बोलते हैं तो actually हम किसको बोल रहे हैं? तो भगवान का जो अंश हममें है, उसे बता रहे हैं। कौन बता रहा है? आपका मन बता रहा है। ये मन जो है, बडा चंचल है। और ये इस मन को, एक बार जो उसने निश्चय किया तो दो मिनिट के अंदर भूल जाता है।
कितनी बार हम लोगों ने महसूस किया है, जीवन में अनुभव किया है कि हमने कुछ सोचा कि ऐसा करेंगे और दो मिनिट के बाद भूल गए। घर जा रहे हैं, घर की सीढी चढ रहे हैं और पहली सीढी पर जाके सोचते हैं कि मैं घर में अपनी वाईफ को या हसबंड को बोल दूँगा या बोल दूँगी और उपर जाके क्या सोचा था मैने, कुछ बोलना था, यार भूल गया, भूल गयी मै। कितनी बार होता है, इतना तो हमें याद है।
अभी मैं आप सब लोगों को पूछूं कि पिछले सात दिन में आपने सुबह शाम कौन सी शाक खायी? लिखके अभी के अभी दे दो। वो भी कैसे एक मिनिट के अंदर। सात दिन का, मैं सात महिने की बात नहीं कर रहा हूं। कितने लोग कर सकेंगे? खुद सब कुकींग करनेवाली जो है, उसे भी याद नहीं रहेगा।
तो हमारी याददाश्त इतनी कमजोर होने के कारण, कारण क्या है उसका - हमारा मन चंचल है। इसलिये हमें हमारे मन को बार बार बताना चाहिये कि हे हनुमानजी, आप महाप्राण हो इस विश्व के तो हमारा हर श्वास सिर्फ आपकी सहायता से ही चल रहा है। तो मेरा जीवन पूरा का पूरा किसका है? तुम्हारा है। यानी दत्तात्रेयजी का है, यानी किसका है? श्रीगुरु का है।
‘पंचमुखहनुमत्कवचम्’ के बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥