पंचमुखहनुमत्कवचम् विवेचन - ०८ (प्राणशक्ति के नियन्त्रक हनुमानजी) Panchamukha-Hanumat-kavacham Explanation - 08 (Hanumanji : The Controller of Pranashakti) - Aniruddha Bapu
परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने १६ मार्च २०१७ के पितृवचनम् में ‘पंचमुखहनुमत्कवचम्’ के विवेचन में प्राणशक्ति के नियन्त्रक हनुमानजी हैं, इस बारे में बताया।
तो आप कहेंगे - बापू यानी विश्व की शक्ति जो है, उस विराट के अंदर नहीं आती। एक बाजू से देखें तो आपका कहना सही है। देखिये जो अभी जो सेकंड ग्रंथ में प्रेमप्रवास में लिखा है वैसे ही कि समझो एक यहा एक पात्र है, तो इसमें क्या है, इसमें अगर मैं एक ढक्कन रख दू तो क्या होगा? उसके अंदर जो हवा है वो हवा क्या होगी सेपरेट हो जाएगी, बाहर की हवा से बाहर की वातावरण से सीमित हो जायेगी।
लेकिन ये अभी देखिये, अगर कोई ढक्कन नहीं है, कोई लिड नहीं है तो क्या है? अंदर की हवा यानी अंदर का आकाश, उसे घटाकाश कहते हैं। घट याने घट, कुंभ और शरीर भी। पूरे विश्व को भी घट ही कहते हैं। तो उसके अंदर जो आकाश है, जो बाहरी आकाश है, उसके साथ मिला हुआ है। यानी ये जो विराट शक्ति है ये विश्व चलाने के लिये, ये जो विराट शक्ति जो है, वही संपूर्ण रुप से हर पल कार्यरत रहती है।
माँ की जो शक्ति विश्व बनकर आ गयी, वो विश्व में आ गयी। वो अभी मनुष्य के उपर उसका इस्तेमाल कैसे करेगी? जो ग्रह बन गए, बन गए, जो तारे बन गए, बन गए। यानी क्या बन गया? ट्रक बन गया, ट्रेन बन गयी, गाडी बन गयी, प्लेन बन गया। उसके लिये क्या चाहिये, आवश्यक है, इंजिन भी बन गया, सब कुछ बन गया, लेकिन ईंधन चाहिये, पेट्रोल चाहिये, डिझल चाहिये, जो भी चाहिये, इलेक्ट्रिसिटी चाहिये। यानी ये जो ईंधन है, ये जो पॉवर सप्लाय है, इस पॉवर सप्लाय जो करता है, उसे विराट कहते हैं।
यानी हनुमान जी कैसे हैं? ये सारे के सारे प्रगट विश्व को क्या करते है? पॉवर सप्लाय करते है। इसलिये उन्हे विराट कहा गया है। इसलिये उन्हें हम क्या कहते है? ‘ॐ श्री रामदूताय हनुमंताय महाप्राणाय महाबलाय नमो नमः।’ विश्व में प्राणशक्ति को नियमित रुप से भरते रहने का काम किसका है? हनुमानजी का है।
‘पंचमुखहनुमत्कवचम्’ के विवेचन में प्राणशक्ति के नियन्त्रक हनुमानजी हैं इस बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥