परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने ०९ मार्च २०१७ के पितृवचनम् में ‘गायत्री मंत्र हमें इष्ट देवता का दर्शन अवश्य कराता है’ इस बारे में बताया।
अभी देखिये कि मैंने पहले ही बताया था, लोग बोलते हैं कि भगवान को देखा नहीं तो उसपर प्रेम कैसे करेंगे? अभी माँ के पेट में बच्चा पल रहा है। आपने देखा है? माँ देख सकती है उसे? बाप देख सकता है? फिर भी कितना प्रेम होता है। यानी आपके पास एक अनुभव है, माँ और बाप दादा दादी, भाई भाभी सभी लोग क्या है, न देखे हुए भी बच्चे पर प्रेम कर सकते हैं। न देखे हुए एक आदमी पर एक इन्सान पर प्रेम कर सकता है तो न देखे हुए भगवान पर प्रेम करने में क्या हर्ज है आपको?
लेकिन यहां सारे के सारे लोग, गायत्री छंदः गायत्री का, गायत्री मंत्र में एक शब्द क्या आता है? हमारी बुद्धि को प्रकाशित करो। प्रचोदयात्। हमारी बुद्धि को प्रकाश दो। बुद्धि को प्रकाशित करो। किसके लिये? उस तेज का स्वीकार करने के लिये। उस भर्ग के भर्गवान को देखने के लिये। उस भर्गगर्भवती को यानी उस माँ को देखने के लिये। यानी गायत्री मंत्र हमें इष्ट देवता का दर्शन अवश्य दिलाता है। इसलिये हर एक इष्टदेवता का गायत्री मंत्र अपना अपना अलग अलग होता है। लेकिन पंचमुखहनुमत्कवच, तुलसीदासजी ने जो ग्वाही हमें दी है हनुमान चलिसा में, और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेई सर्व सुख करही।
पंचमुखहनुमत्कवच कहने के बाद गायत्री मंत्र के स्पंदन हमें मिलने के कारण creativity वाले प्रजापति ब्रह्मा हमारे ऋषि होने के कारण हमारे इष्ट दैवत का हमें जरुर दर्शन होगा। एक बार इष्ट देवता का दर्शन हुआ तो जिंदगी में बाकी सारे के सारे सुखे सुख जो हैं, अपने आप चले आते हैं। सारे के सारे सुख चले आते हैं। तो इतनी बडी guarantee हमें ये पंचमुखहनुमत्कवच की पहली लाईन में ही मिलती है, इस बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥