पाकिस्तान से जुडी खबरें
‘सबक’ भूलकर मात्र कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान ने भारत से चर्चा का प्रस्ताव पीछे लिया
इस्लामाबाद – भारत से तीन युद्धों के बाद पाकिस्तान को सही सीख मिली है, ऐसा दावा करके प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने भारत को चर्चा का प्रस्ताव दिया था। लेकिन, यह युद्ध होने के कुछ दशक बाद पाकिस्तान को मिली यह सीख कुछ घंटे भी टिक नहीं पाई। क्योंकि, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय का ऐलान इसकी साक्ष देता है। भारत ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा बहाल करनेवाली धारा ३७० फिर से लागू किए बिना पाकिस्तान चर्चा नहीं करेगा, ऐसा बयान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय ने जारी किया है। पाकिस्तान से यह खुलासा प्राप्त होने से पहले ही भारतीय विश्लेषकों ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का बयान भरोसा करने लायक न होने का इशारा दिया था। तथा भारत से प्रतिक्रिया ना आने से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को अपने बचाव के लिए पूरा पलटना पड़ा, ऐसा दावा कुछ विशेषज्ञों ने किया है।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने भारत को चर्चा का प्रस्ताव देने से पहले पाकिस्तान सरकार ने कुछ खबरें माध्यमों में फैलाई थीं। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल और पाकिस्तान की ‘आयएसआय’ के प्रमुख के बीच चर्चा होने के दावे करने वाली खबरें भी फैलाई गई थीं। भारत के प्रधानमंत्री पाकिस्तान का दौरा करेंगे, ऐसा इस चर्चा में तय हुआ था, ऐसी जानकारी पाकिस्तान के पूर्व सेनाप्रमुख जनरल बाजवा ने साझा की थी, ऐसे दावे पाकिस्तानी माध्यमों ने किए थे। लेकिन, दोनों देशों में यह चर्चा आगे बढ़ नहीं पाई यह दावा पाकिस्तान के कुछ पत्रकार और वृत्तसंस्थाओं ने किया। इन खबरों का इस्तेमाल करके भारत के साथ चर्चा करने का माहौल बनाने की कोशिश पाकिस्तान ने की और इसके बाद प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने सीख मिलने के बयान किए थे।
पाकिस्तान ने भारत के साथ तीन जंग से सबक सीखा – पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ
इस्लामाबाद – भारत के साथ तीन बार जंग करके हमारे देश ने सबक सीखा, यह कहकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने भारत को चर्चा का प्रस्ताव दिया। खाड़ी देशों के समाचार चैनल को साक्षात्कार के दौरान प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने भारत से चर्चा का प्रस्ताव देकर सनसनी निर्माण की। लेकिन, उनके द्वारा बयान की गई पछतावे की भावना उन्हीं तक सीमित है, या यह पाकिस्तान की ‘राष्ट्रीय भावना’ है, यह सवाल भारतीय विश्लेषक उठा रहे हैं। अपनी नैया गोते खा रही है और ऐसे में पाकिस्तान को सूझ रही अकलमंदी का कुछ ज्यादा मतलब नहीं है क्योंकि, भारत से चर्चा करके भारत से सहायता पाने के अवाला इस देश के सामने अन्य विकल्प ही नहीं बचा, इसका अहसास विश्लेषक करा रहे हैं। साथ ही किसी भी स्थिति में इस देश पर भरोसा नहीं किया जा सकता, यही इतिहास ने सिखाया है, इस पर विश्लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।
सबक सीखाअपने देश के टुकड़े होंगे, यह ड़र पाकिस्तान के मंत्री ही जताने लगे हैं। अनाज की किल्लत, महंगाई में उछाल और बेरोजगारी ने पाकिस्तान को परेशान कर दिया है और कुछ दिन आयात करने जितनी पर्याप्त निधि भी पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंड़ार में नहीं रही। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोश और अमरीका एवं खाड़ी मित्रदेशों की सहायता अपने बचाव के लिए पर्याप्त होगी, यह उम्मीद पाकिस्तान को थी। लेकिन, यह सहायता भी कम साबित होगी, इतना बड़ा आर्थिक संकट पाकिस्तान के समक्ष है। ऐसी स्थिती में पाकिस्तान ने भारत से युद्ध करके सीखा गया सबक याद आया है। ऐसी कबूली ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने ‘अल अरेबिया’ नामक खाड़ी देशों के समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार के दौरान दी। लेकिन, भारत के साथ युद्ध से सबक सीखने के लिए इस देश को इतने दशक क्यों लगे, इसका जवाब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नहीं दे पाए।
हम परमाणु बम खाएं क्या? – पाकिस्तान की सरकार से जनता का सवाल
इस्लामाबाद – पाकिस्तान के लिए मित्रदेशों के सामने हाथ फैलाते समय हम शर्मिंदा हैं, ऐसा बयान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने बड़ी बेबसी से किया। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंड़ार पांच अरब डॉलर्स तक फिसला है। और अब कुछ ही दिनों तक आयात संभव हो पाएगा। ऐसी स्थिति में सौदी अरब और यूएई जैसे मित्रदेशों के दौरे करके पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और सेनाप्रमुख सहायता के लिए गिड़गिड़ा रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने हम मित्रदेशों से भीख मांग रहे हैं, ऐसा कहकर अफसोस जताया। लेकिन, अन्य कोई विकल्प नहीं बचा है, यह भी शरीफ ने कहा।
परमाणु बमपाकिस्तान में अनाज के लिए मारपीट शुरू हुई है और इसमें कुछ लोगों के हताहत होने की खबरें प्रसिद्ध हुई हैं। रियायती दाम पर मिल रहा आटा पाने के लिए कई घंटे कतार में खड़े रहकर पाकिस्तानी जनता परेशान हो चुकी है और भूखमरी का भयंकर संकट इस देश पर आन पडा है। पाकिस्तान में परमाणु बम है, लेकिन क्या हमें यह खाना है? ऐसा सवाल एक गुस्सा हुए नागरिक ने किया। अपने देश के शासक हमारे पास परमाणु बम होने की बात बड़े गर्व से कहते हैं। लेकिन, जनता का पेट भरता नहीं है तो इसका उपयोग ही क्या? ऐसा सवाल इस नागरिक ने माध्यमों से पूछा। इसी बीच सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के कुछ नेटकरों ने पूर्व प्रधानमंत्री ज़ुल्फिकार अली भुट्टो के बयानों की याद दिलाई।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए अमरीका सहायता करेगी – इसी बीच पाकिस्तान को तबाह करने की ‘तेहरिक’ की धमकी
इस्लामाबाद – पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए अमरीका सहायता करने के लिए तैयार है, यह ऐलान अमरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राईस ने किया है। साथ ही बाढ़ की वहज से तबाह हुए पाकिस्तान को अतिरिक्त दस करोड़ डॉलर्स देने का ऐलान प्राईस ने किया। इसकी वजह से पाकिस्तान को अमरीका से कुल २० करोड़ डॉलर्स की सहायता प्राप्त होगी। साथ ही अंतरारष्ट्रीय मुद्राकोश से पाकिस्तान को कर्ज़ देने के लिए अमरीका पहल कर सकती है। लेकिन, इसके बदले में अमरीका पाकिस्तान से अफ़गानिस्तान में तालिबान पर हमले करने की मांग कर रही है, ऐसा आरोप लगाना शुरू हुआ है। ‘तेहरिक-ए-तालिबान’ ने एक वीडियो के ज़रिये इशारा दिया है कि, हम पाकिस्तान से युद्ध करने के लिए तैयार हैं। अमरीका और पाकिस्तान ने परदे के पीछे मिलाया हुआ हाथ ‘तेहरिक’ की इस धमकी के लिए ज़िम्मेदार साबित हो रहा है।
अर्थव्यवस्था टूटने की कगार पर होते हुए अमरीका ने पाकिस्तान को सहायता का आश्वासन दिया है। साथ ही ‘तेहरिक’ भी पाकिस्तान को धमका रहा है, यह संजोग नहीं हो सकता बल्कि, इसके पीछे अमरीका ने पाकिस्तान को दिया हुआ ‘कान्ट्रैक्ट’ है, ऐसा दावा किया जा रहा है। कुछ दिन पहले अमरिकी विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को आत्मरक्षा का अधिकार होने का सूचक बयान किया था। यानी कि, तेहरिक के पाकिस्तान में हमले होने की स्थिति में इसका जवाब देने का अधिकार पाकिस्तान को है और इसके लिए पाकिस्तान अफ़गानिस्तान में घुसकर भी हमले कर पाएगा, ऐसे संकेत नेड प्राईस ने दिए थे। पाकिस्तान के माध्यमों ने भी इसका संज्ञान लिया था।
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