मणिपुर चक्र और प्राणाग्नि - भाग ३
सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २० अप्रैल २०१७ के प्रवचन में ‘मणिपुर चक्र और प्राणाग्नि (Manipur Chakra And Pranagni) ’ इस बारे में बताया।
मणिपूर चक्र का इतना इमंपॉरटन्स हमारे लाईफ में है, इसीलिये रामनाम ये हमेशा क्या बताया गया है भारत में, ये सर्वश्रेष्ठ नाम है। इसके लिये कुछ शक्ति की आवश्यकता नहीं, किसी शुद्धी की नहीं। ज्ञानेश्वर महाराज ने क्या बताया हैं? मैं बार-बार बताता हूँ वो ओवी उनकी, ज्ञानेश्वर महाराज की, ओवी यानी चौपाई, जिसके अंत में आता है, नाम परब्रह्म वेदार्थे। ‘नाम जप यज्ञ तो पर। बाधू न शके स्नानादि कर्म। नामे पावन धर्म अधर्म। नाम परब्रह्म वेदार्थे।।’ ओ.के., जान गये। ये रामनाम जो है, यही परब्रह्म है, परब्रह्म का हर एक अविष्कार रामनाम से ही होता है।
अब रामनाम बोलना कितना आसान है, मुझे बोलिये! जब भी आये दिन में याद आये तो बोलिये राम, राम, राम, राम, राम बोलिये, तुम्हारे गुरु का नाम, अगर आप साई बोलते हो तो साई, साई, साई, साई, साई, साई, साई, साई.... या सिर्फ गुरु, गुरु, गुरु बोलोगे तो भी वही हो जाता है। लेकिन ये मणिपुर चक्र को इस जिंदगी के लिये, इस जन्म के लिये और अगले जन्मों के लिये भी हमें ताकदवर बनाना ही पड़ता हैं, ओ.के।
मणिपुर चक्र जितना शुद्ध है उतनी, उतनी हमारी उमर लंबी होती हैं, उतनी बीमारियाँ कम होती हैं। मणिपुर चक्र में जब बाधा आती है, तभी बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं, मन की, तन की और सामाजिक बीमारियाँ भी। सामाजिक बीमारी यानी क्या? कोई बुरी लत लग जाना या शराब पीना या जुआ खेलना या वेश्या गमन करना या चोरी करना ये सब सामाजिक बिमारियाँ हैं या दरिद्री हो जाना यकायक, पैसा कोई लुट लेना राईट या कोई आकर आपको तकलीफ दे, मार दे, राईट, ये भी क्या हैं, सामाजिक बिमारियाँ। ये सारी बिमारियाँ तभी ज्यादा तकलीफ देती हैं, जब हमारे मणिपुर चक्र में जो प्राणाग्नि है, वह वीक रहता है, कमजोर रहता है। उसके लिये उसे सुधारने के लिये हमारे पास कितने सोपे साधन ज्ञानेश्वर महाराज जिसे कहते हैं, ‘नामा परते साधन नाही रे सर्वदा। एक तत्त्व नाम दृढ धरी मना॥’ ये हिंदी में भी समझ सकते हैं, एक तत्त्व नाम दृढ धरी मना। ‘हे मन! तू ये तत्त्व दृढता से पकड़कर रखना कि रामनाम ही सबसे बेस्ट है। ‘ते नाम सोपे रे रामकृष्ण गोविंद’। पहला कौन आता है? राम ही आता है।
‘मणिपुर चक्र और प्राणाग्नि (Manipur Chakra And Pranagni )’ इस बारे में हमारे सद्गुरु श्री अनिरुद्ध ने प्रवचन बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।
ll हरि: ॐ ll ll श्रीराम ll ll अंबज्ञ ll