जीवात्मा यह परमात्मा का ही अभिन्न अंश होता है (Jivatma is an integral part of Paramatma) - Aniruddha Bapu

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने १४ जनवरी २०१६ के पितृवचनम् में ‘जीवात्मा यह परमात्मा का ही अभिन्न अंश होता है', इस बारे में बताया।

Aniruddha Bapu told in his Pitruvachanam dated 14 Jan 2016 that, Jivatma is an integral part of Paramatma.
जीवात्मा यह परमात्मा का ही अभिन्न अंश होता है (Jivatma is an integral part of Paramatma) - Aniruddha Bapu

और मैं क्या हूँ, every human being क्या है? तुम एक शरीर नहीं हो कि जिसमें आत्मा है। जान लो भाई, हम लोग क्या सोचते हैं कि, मेरा शरीर है और मेरे शरीर में मेरी आत्मा है, नहीं, तुम आत्मा हो, जिसके पास एक शरीर है। तुम एक आत्मा हो जिसमें एक शरीर है और तुम्हारी हर एक की आत्मा परमात्मा का अंश है।

आत्मा परमात्मा का ही अंश होता है। इसलिये ध्यान में रखो भाई, ये रिक्रिएशन बहुत आवश्यक है। किसी को कीर्तन में मिलेगा, किसी को कोई तीर्थयात्रा में जाकर मिलेगा, किसी को जंगल में घूमकर मिलेगा, किसी को हाइक पर जाकर मिलेगा, किसी को गार्डनिंग करने में या बगीचे में काम करने में मिलेगा, किसी को खेलने में कूदने में मिलेगा, किसी को गाने सुनने में मिलेगा, किसी को गाने में मिलेगा।

जिसमें भी मिलता हो, लेकिन पूरा आनंद करो, काम करते समय भी और रिक्रिएशन के समय भी, यानी मनोरंजनात्मक श्रमपरिहार के समय भी पूरे आनंद के साथ करो। और पूरा आनंद तभी आता है, जब हम काम करते समय भी उस त्रिविक्रम को और उसकी माँ को भूलते नहीं, और आराम करते समय भी उन दोनों को भूलते नहीं।

So whether you are creating, हमारे पास क्रिएशन का वर्क है, या रिक्रिएशन activity चल रही है हमारी, हमें उनकी याद रहनी चाहिये। काम शुरु करते समय हाथ जोडके कहना है या मंत्र बोलके कहना, हे माँ, हे त्रिविक्रम, बस आप मेरे साथ रहो, मैं सब कुछ कर सकता हूँ। काम होने के बाद कहो, हे माँ, हे त्रिविक्रम, जो भी हुआ है, जैसे भी हुआ है, आप देख लेना, सँभाल लेना, अंबज्ञ!, हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में जो बताया, वह आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।

 

॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥

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