ई-मेल – भाग १
संदेशो के लेनदेन पर पहले भी संसार चलता था, आज भी चल रहा है, ओर आगे भी चलता रहेगा। संदेश का समय रहते पहुँचना बहुत आवश्यक है। यद्यपि प्राचीन व आधुनिक संदेश माध्यमों में काफी अन्तर हैं तथापि मूल संकल्पना वहीं हैं। प्राचीन काल में संदेश वहन का कार्य राजा महाराजा के दूत किया करते थे। जिस में बहुत समय लगता था। धीरे-धीरे समय के साथ-साथ यातायात के साधनों में भी बदलाव आया व संदेश वहन के स्वरूप में भी। डाक सेवा आरंभ हुई। जिससे संदेश कई दिनों के स्थान पर कुछ ही दिनों में मिलने लगे। टेलीग्राम (डाक-तार) सुविधा के आते ही यह अवधि घट कर घंटो में रह गई। फिर इलेक्ट्रॉनिक युग में इन्टरनेट के जन्म पश्चात यह मिनटों में आ गई व ई-मेल (इलेक्ट्रॉनिक मेल) के तेजी से प्रचलन में आते ही संदेश महज़ कुछ क्षणों में पहुँचने लगे।
देखा जाए तो ई-मेल का जन्म ईंटरनेट से पहले हुआ हैं। जब ईंटरनेट का जन्म नही हुआ था तब ई-मेल का उपयोग एकही कॉम्प्युटर से जुडे हुए युजर्स तक मर्यादीत था। पर जैसे जैसे संगणक एक दूसरे से जुड़ते गए वैसे-वैसे इसका विस्तार व व्याप्ति बढ़ने लगी। आज अनेक काम केवल ई-मेल पर ही हो जाते हैं।आज के युग में ई-मेल इतना महत्त्वपूर्ण हो गया है कि सामान्य जन को भी इसका उपयोग आना चाहिए। इसे सीखना व उपयोग करना आसान हैं। इस लेख द्वारा हम ई-मेल संबंधी जानकारी प्राप्त करनेवाले हैं। ई-मेल सेवा उपलब्ध करानेवाली बहुत सी कंपनीयाँ इन्टरनेट पर उपलब्ध हैं। इस में से याहू, जी-मेल, हॉट-मेल, रेडीफ-मेल, अग्रेसर हैं। यहाँ ई-मेल के बारे में जानने हेतु जी-मेल का उदाहरण दिया गया हैं।
ई-मेल अकाऊन्ट कैसे खोलें?
आज आप कोई भी फार्म भरे, उस में एक विकल्प ई-मेल संबंधी होता ही हैं। यदि हम इसे छोड़ आगे बढ़ते हैं, पता चलता है इस विकल्प को भरना वांछनीय है व तब समझ आता है इस का महत्त्व। आज सभी क्षेत्रों में प्रगति बडी़ तेजी से हो रही हैं। और साथ हमें अपना सर्वांगीण विकास कर, समय के साथ कदम मिलाकर चलना जरुरी है। ई-मेल का उपयोग करना, संदेश भेजना या पढ़ना, अपना अकाऊन्ट खोलना इसका सरल तरीका यहाँ जान लेते हैं।
- ई-मेल अकाऊन्ट बनाना अर्थात अपने लिए एक यूजरनेम व पासवर्ड बनाना। यदि उदाहरण के लिए देखे [email protected] इस ई-मेल पते में यूजर नेम bhalwankar.nikhil हैं। यूजर नेम व पासवर्ड के मिले-जुले (सन्मिलित) उपयोगद्वारा हम ई-मेल अकाऊन्ट में लॉग-इन कर सकते हैं।
- पासवर्ड ज्ञात होना लॉग-इन हेतु आवश्यक हैं। यह ई-मेल रूपी ताले की चाबी की भाँति ही होता है।
- जिस तरह हम घर की चाबी अपने ही पास रखते हैं उसी तरह अपने पासवर्ड की गोपनीयता बनाए रखना चाहिए।
- ई-मेल अकाऊन्ट हेतु भरे जानेवाले फार्म में निम्न जानकारी देनी पड़ती है -
- नाम, उपनाम, युजरनेम, पासवर्ड, जन्मतारिख, लिंग (स्त्री/पुरुष), मोबाईल नंबर, इत्यादी।
- मोबाईल नंबर का प्रयोग अकाऊन्ट वेरिफिकेशन हेतु किया जाता हैं।
- मोबाईल नंबर पर sms आता है जो एक कोड होता है, जो अंको व अक्षरों का मिश्रण होता हैं।
- इस कोड को अकाऊन्ट वेरिफिकेशन के लिए प्रयुक्त होने के बाद अकाऊन्ट तैयार होता है।
ई-मेल इन्टरफेस / होमपेज :
जी-मेल पर लॉग-इन करते ही निम्नानुसार पेज दिखाई देता है, इसे ही होम-पेज कहते हैं। इसके विभिन्न हिस्सों के बारे में आइए जान लेते हैं। इन सारे हिस्सों को मिलकर होम स्क्रिन / जी-मेल इंटरफेस बनता हैं।
- बाँयी ओर सबसे उपर मोटे अक्षरों में गुगल व उसका लोगो (संकेत चिन्ह) दिखाई पड़ता हैं । हम किसी भी पेज पर हो इस संकेत चिन्ह पर क्लिक कर हम होम-पेज पर वापस आ सकते हैं।
- इसके बगल में एक लम्बा सा बॉक्स है जिसे ई-मेल सर्च कहते हैं । इसके संदर्भ में विस्तृत जानकारी लेख में आगे दी गयी है।
- दाँए कोने में + Nikhil ऐसा लिखा है। जो एक लिंक है, इस पर क्लिक करके हम गुगल+ इस सोशल नेटवर्किंग साईट पर जा सकते हैं। गुगल+ के बारे में अधिक जानकारी हेतु ईसी विशेषांक में एक लेख प्रसिद्ध हुआ हैं। उसे पढें।
- +Nikhil के बाजू में ९ चतुर्भुज हैं इन पर क्लिक करने पर एक विन्डो खुलेगी। जैसे गुगल ऍप्स, गुगल सर्च, यू ट्युब, मेप्स, प्लेस्टोर, न्यूज, जी-मेल, ड्राईव्ह (गुगल क्लाऊड), केलेन्डर आदी। यहाँ से इन ऍप्स का प्रयोग किया जा सकत हैं।
- ९ चतुर्भुज के पास bell का संकेत हैं जिस पर क्लिक करने पर गुगल+ के नोटीफिकेशन दिखाई देते हैं।
- इसके बाजू में शेअर बटन है जिस पर क्लिक कर आप फोटो विडियो व लिंक शेअर कर सकते हैं।
- बाँयी ओर कोने में कम्पोज बटन द्वारा नया मेल लिखा जा सकता हैं।
इसके नीचे कुछ महत्त्वपूर्ण फोल्डरर्स दिखाई देते हैं -
इनबॉक्स : in अर्थात अन्दर, जो मेल आपको आते हैं वो इनबॉक्स में दिखाई देते हैं। सेव्ह होते हैं। इसके तीन भाग हैं। प्रायमरी, सोशल व प्रमोशनल। सोशल में ट्विटर, फेसबुक, यूट्युब, गुगल+ जैसे सोशल नेटवर्कींगवाले मेल, प्रमोशनल में विज्ञापन संबंधी मेल्स आते हैं।
- सेन्ट मेल : इस में आपने भेजे हुए मेल होते हैं।
- ड्रॉफ्ट : हम जो मेल लिखते हैं लेकिन भेजते नहीं वे इस फोल्डर में सेव्ह होते हैं।
- चॅटस्: गुगल हैंग आऊट से किए जानेवाले चॅट यहाँ सेव्ह होते हैं।
- स्पॅम : जो ई-मेल जी-मेल को धोखादायक लगते हैं वे इस फोल्डर में सेव्ह किए जाते हैं।
- ट्रॅश : ई-मेल डिलिट करने के बाद वे यहाँ सेव्ह होते हैं।
- बाँए निचले कोने में गुगल हँग आऊट की विन्डोद्वारा दोस्तो से चॅट कर सकते हैं।
- अब दाँया उपरी कोना देखे - १-५० ऑफ २३१६ अर्थात पहले ५० मेल यहाँ नज़र आते हैं। इससे पुराने मेल देखने हो तो बटन पर क्लिक करें ५१-१०० ई-मेल दिखेंगे। पुन: पहले पन्ने पर आने हेतु बटन पर क्लिक करें।
- ‘अ’ लिखे बटन पर क्लिक कर देवनागरी में ई-मेल टाईप कर सकते हैं।
- इसके बगल में जी-मेल सेटिंग्स का चक्र के संकेतवाला बटन हैं।
क्रमश:...