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‘एक जिला, एक उत्पादन’ नीति पर राज्य सरकार के साथ काम करने की बैंकों को केंद्रीय वित्तमंत्री की सूचना

‘एक जिला, एक उत्पादन’ नीति पर राज्य सरकार के साथ काम करने की बैंकों को केंद्रीय वित्तमंत्री की सूचनानई दिल्ली – सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों के प्रमुख के साथ केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने बुधवार के दिन मुंबई में बैठक की। इस दौरान ‘एक जिला, एक उत्पादन’ नामक महत्वाकांक्षी नीति को आगे बढ़ाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकें राज्य सरकार के साथ समन्वय में काम करें, निर्यातकों से बातचीत करें, उनकी ज़रूरतों और दिक्कतों से अवगत हों, यह सूचना भी इस बैठक के दौरान केंद्रीय वित्तमंत्री सीतारामन ने की। इसके बाद वार्तापरिषद में उन्होंने बैंक कर्मचारियों के निवृत्ति वेतन की सीमा बढ़ाने का अहम ऐलान भी किया।

केंद्रीय स्तर पर ‘एक जिला, एक उत्पादन’ नीति बनाई गई है। देश में अलग अलग उत्पादनों के क्लस्टर तैयार करने का मानस सरकार रखती है। इसके ज़रिये किसी एक जिले की पहचान बनाकर वहां पर उत्पादन केंद्र स्थापित करने की योजना है। इसके ज़रिये स्थानीय स्तर पर रोज़गार बढ़ेगा, कुशलता विकसित होगी और निर्यात को भी गति प्राप्त होगी, यह विचार इस योजना के पीछे है। 

अधिक पढिये : http://www.newscast-pratyaksha.com/hindi/union-finance-minister-instructs-banks-to-work-with-state-governments-on-one-district-one-product-policy/ जागतिक उत्पादन क्षेत्र को आकर्षित कर रहे देशों की सूचि में भारत को प्राप्त हुआ दूसरा स्थान

जागतिक उत्पादन क्षेत्र को आकर्षित कर रहे देशों की सूचि में भारत को प्राप्त हुआ दूसरा स्थाननई दिल्ली – जागतिक उत्पादन के केंद्र के तौर पर भारत का उदय होने का और एक संकेत प्राप्त हुआ है। ‘कुशमन ऐण्ड वेकफिल्ड’ नामक संपत्ति क्षेत्र की कंपनियों के ‘ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग रिस्क इंडेक्स’ की सूचि में अमरीका को पीछे छोड़कर भारत को दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है। किसी देश में उत्पादन के लिए आवश्‍यक क्षमता और इसके लिए अनुकूल माहौल का विचार करके जागतिक उत्पादन क्षेत्र को आकर्षित कर रहे देशों का क्रम तय किया जाता है। बीते वर्ष इस सूचि में तीसरा स्थान प्राप्त करनेवाले भारत ने इस वर्ष दूसरा स्थान प्राप्त किया है।

चार बुनियादी मुद्दों का विचार करके यह सूचि तैयार की जाती है। इसमें उत्पादन नए से शुरू करने की क्षमता और औद्योगिक माहौल का विचार होता है। इस माहौल में कुशल कामगारों की उपलब्धता एवं बाज़ार के संपर्क का विचार होता है। उपक्रम चलाने के लिए आवश्‍यक खर्च और कारोबार से संबंधित खतरों का भी विचार यह क्रम तय करते समय किया जाता है। राजनीतिक और आर्थिक एवं पर्यावरण से जुड़ी स्थिति का भी इसमें समावेश है। इन मुद्दों पर भारत के परफॉर्मन्स में सुधार हुआ है और बीते वर्ष इस सूचि में तीसरे स्थान पर रहा भारत इस वर्ष दूसरे स्थान पर पहुँचा है।
अधिक पढिये : http://www.newscast-pratyaksha.com/hindi/india-ranks-second-in-list-of-countries-attracting-global-manufacturing/ ‘नैशनल मोनेटाइज़ेशन पाईपलाईन मिशन’ का केंद्रीय अर्थमंत्री के हाथों शुभारंभ

‘नैशनल मोनेटाइज़ेशन पाईपलाईन मिशन’ का केंद्रीय अर्थमंत्री के हाथों शुभारंभनई दिल्ली – केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने ‘नैशनल मोनेटाइज़ेशन पाईपलाईन’ (एनएमपी) योजना का सोमवार के दिन शुभारंभ किया। इसके अनुसार सरकार कम इस्तेमाल कर रही एवं बिना इस्तेमाल की पड़ी हुई अलग अलग विभाग एवं क्षेत्र की सरकारी संपत्ति लंबे समय के लिए लीज़ पर दे रही है। वर्ष २०२२ से २०२५ के चार वर्षों में ऐसी संपत्ति को सरकार भाड़े पर उपलब्ध कराएगी और इसके माध्यम से छह लाख करोड़ रुपयों का प्रावधान कर रही है। इससे देश की बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए बड़ी मात्रा में निधी उपलब्ध होगी, यह दावा किया जा रहा है। ‘एनएमपी’ के तहत सरकार अपनी संपत्ति की बिक्री नहीं करेगी, बल्कि इसका उचित इस्तेमाल करेगी। मोनेटाइज़ेशन हो रही सरकारी संपत्ति का मालिकाना हक सरकार के पास ही रहेगा, यह बात वित्तमंत्री सीतारामन ने रेखांकित की।

‘नैशनल मोनेटाइज़ेशन पाईपलाईन मिशन’ का चरण एक और दो का केंद्रीय वित्तमंत्री के ज़रिये ऐलान करने के साथ नीति आयोग के उपाध्यक्ष एवं कार्यकारी अधिकारियों के साथ अलग अलग विभाग के सचिव उपस्थित थे। सड़कें, राजमार्ग, रेल्वे, नागरी उड्डयन, बंदरगाह, खदान, दूरसंचार, पॉवरग्रीड, स्टेडियम, पाईपलाइन समेत अलग अलग विभागों की सरकारी संपत्ति का मोनेटाइज़ेशन यानी इसे बेचकर या भाड़े पर देकर सरकार आवश्‍यक बुनियादी सुविधाओं का निर्माण करने के लिए निधी का प्रावधान करेगी।

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