मन:शान्ति कैसे प्राप्त करें
सद्गुरु श्री अनिरुद्धजी ने 3 फरवरी २००५ के पितृवचनम् में 'मन:शान्ति कैसे प्राप्त करें' इस के बारे में बताया।
मनगुप्त कनकमार्ग, मनगुप्त कनकमार्ग, अब इसके दो अर्थ हो सकते हैं। मनगुप्त कनक की, मन में गुप्त रूप से रहनेवाला कनक, बहुत आसान अर्थ है और दूसरा अर्थ जो है, मतलब जो बहोत सुंदर है। मन जहाँ गुप्त हो जाता है, मन को जो गुप्त करता है ऐसा सोना। मन जहाँ शांत हो जाता है ऐसा सोना। ऐसा सुवर्ण जिसे देखकर मन शांत हो जाता है यानी मन का शांत होना ही सच्चा सुवर्ण है। इन दोनों अर्थों को अगर हम मिला लें तो जान सकते हैं कि सही अर्थ क्या है? मन की शांति ही सच्चा सोना है।
भाई देखो, मन:शांति के लिए प्रयास करो। मन:शांति के लिए जो प्रयास करते हैं, वहीं तिसरा मार्ग है, उस विचित्र कनक को पाने का। मन को गुप्त करो, मन को गुप्त तभी कर सकते हैं, जब मन शांत होता है। मन शांत है यानी मन नहीं है। जब तक मन है, तब तक वह अशांति है। जिस समय के लिए मन शांत है, इसका मतलब की मन है ही नहीं, ‘नम:’ हो गया।
मन को शांत करने का मार्ग एक ही है, मन को ‘नम:’ करना यानी मन का विषय ‘नम:’ होना, वह किससे होता है? मन का रूपांतर नम: में करनेवाली शाक्ति एक ही है, ‘नाम’ है। मन का रूपांतरण नम: में करनेवाली, मन: का रूपांतरण नम: में करनेवाली शक्ति एक ही है, जिसे हम ‘नाम’ कहते हैं, भगवत्-नाम।
तो ये जो मनगुप्त कनक है, मनगुप्त कनकमार्ग जिसे, तो मन:शांति पाने की कोशिश करो और मन:शांति आप तभी पा सकते हो, जब आप दूसरों को मन:शांति देते हो। ऐसा कभी नहीं हुआ है कि मैं दूसरों को अशांति दूँ और मुझे शांति मिले, ऐसा कभी नहीं हुआ है। ये तीसरा मार्ग बहुत जटील है और बहुत सुंदर भी है। अगर आप मन की शांति चाहते हो, तो दूसरों के लिए मन की शांति बाँटना सीखो। तब अपने आप आपके मन में शांति उत्पन्न करने का काम ये राधाजी अवश्य करेंगी। मैं दूसरों के मन में अशांति उत्पन्न करके, खुद को शांति पाने की कोशिश करुँ, तो ये होनेवाला है नहीं, क्योंकि ये मार्ग ही नहीं। राधाजी ने ही ये तीन मार्ग बताये हुए हैं।
तो ये तीसरा मार्ग जो है, ये सबसे बेहतरीन और सबसे आवश्यक मार्ग है। हर किसी को इसी मार्ग पर अंत में चलना पड़ता है। पहले, पहले मार्ग पर, बाद में दूसरे मार्ग पर, बाद में तीसरे मार्ग पर। तीनों मार्ग पर चलने के बाद ही हमें वो सच्चा सोना, वो विचित्रसुवर्ण प्राप्त होता है, राधाजी से।
'मन:शान्ति कैसे प्राप्त करें' इस बारे में हमारे सद्गुरु श्री अनिरुद्ध ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।
ll हरि: ॐ ll ll श्रीराम ll ll अंबज्ञ ll
॥ नाथसंविध् ॥