ग्रो विथ द फेसबुक पेज
एक लडकी ने घरेलु कपडे सिलने का व्यवसाय शुरु किया। उसे पैसोंकी काफी आवश्यकता होने के कारण वह दिन-रात घर पर ही टलरिंग का काम किया करती थी। परन्तु तब तक उसे केवल उसके एरिया के ही काम मिला करते थे। जो पर्याप्त नहीं थे। उसे अपने काम का विस्तार करना था। परन्तु उसके लिये विज्ञापन देने की आवश्यकता थी। किन्तु उसके पास विज्ञापन देने के लिए आवश्यक धन नहीं था। तभी उसकी एक टेक्नोसॅव्ही सहेली ने उसे फेसबुक पर पेज बनाने की सलाह दी। इस सलाह के आधार पर उस टेलर सहेली ने फेसबुक पेज सीखकर उसपर अपना पेज बनाया और अपने टेलरिंग के काम फेसबुक पर डाल दिये। धीरे-धीरे उसने फेसबुक पेज का प्रयोग करना सीख लिया। कोई भी उसका काम घर बैठे-बैठे देख सकता था। लोगों ने उसके काम पर अच्छे-अच्छे कमेंन्ट्स लिखे, लाईक किये। और देखते-देखते उसकी कला की चर्चा शहर और जिले में होने लगी और काफी दूर-दूर से उसे स्पेशल ऑर्डर आने लगे। उसने अपना व्यवसाय बढा दिया। कुछ फैशन डिज़ाइन कंपनियों ने उसके हुनर को देखकर उसे कॉन्ट्रेक्ट भी दिया। यह सब कमाल था फेसबुक पेज का। इस तरह फेसबुक पेज की सफलता की कितनी सारी कथायें, गाथायें आपको सुनने को मिलेंगी। यदि आप भी इन कहानियों का एक हिस्सा बनना चाहते हो तो आइये हम इस फेसबुक पेज के बारे में थोडी जानकारी प्राप्त करते है।
आपका फेसबुक अकाऊंट तो आपने बनायां ही है। अब अपने युजरनेम और पासवर्ड की सहायता से सर्वप्रथम फेसबुक पर लाग इन करते है। उसके बाद, १. खुल गये होमपेज के फुटर मेन्यू में (सबसे नीचे) अथवा २. दाहिने कॉलम के अंत में ‘क्रिएट पेज’ (create page) का ऑप्शन है। ३. यदि अभी तक आपने एक भी पेज नहीं बनाया होगा तो यह ‘क्रिएट पेज’ का ऑप्शन आपको www/facebook.com/page पर भी मिलेगा।
४. जब हम किसी पहले बनाये गये पेज पर व्हिजिट करते है तो उस समय दाहिने हाथ की ओर भी क्रिएट पेज का ऑप्शन होता है। ५. उसीतरह मेन मेन्यू की नीली पट्टी में दाहिनी ओर सेटिंग्ज में यह ‘क्रिएट पेज’ का ऑप्शन मिलता है। इस क्रिएट पेज ऑप्शन पर क्लिक करने पर सामने की स्क्रीन पर पेजेस के विविध प्रकार दिखायी देते है। अब हमें देखना है कि हमारा पेज किस श्रेणी में आता है। तो आइये पहले पेजेस के विभिन्न प्रकार देखते है :-
१. लोकल(स्थानिक व्यवसाय) बिझनेस अथवा प्लेस (स्थल) जब किसी व्यवसाय अथवा प्लेस के लिए पेज बनाना हो तो इस प्रकार को चुना जाता है। इस प्रकार को चुनने पर इसमें ४० उपप्रकार मिलते है। इन उपप्रकारों में विभिन्न प्रकार के कार्यक्षेत्र दिये हुये होते है। अपने व्यवसाय अथवा स्थल से संबधित उपप्रकार हम चुन सकते है। मान लो कि कोई फैशन डिज़ाइनर है और उसकी दुकान दादर में हैं तो वह इस प्रथम प्रकार का उपयोग करके अपना पेज अपनी दुकान अथवा ब्रॅण्ड के नाम पर शुरु कर सकता है। परन्तु यहाँ पर मांगी गयी सारी जानकारीयाँ भरना आवश्यक है। सारी जानकारीयाँ भरे बिना हम आगे नहीं जा सकते।
२. कंपनी, ऑर्गनाइजेशन अथवा इन्स्टिट्यूड ३. ब्रॅण्ड अथवा प्रोड्क्ट ४. आर्टिस्ट, ब्रॅण्ड अथवा फीगर ५. एन्टरटेनमेंट ६. कॉझ या कम्युनिटी ऐसे छः पर्याय हैं।
विशिष्ट कंपनियाँ, ऑर्गनाइजेशन और इन्स्टिट्यूड का समावेश दूसरे पर्याय में होता है। इस प्रकार में ३७ उपप्रकार है। यहाँ कोई भी उपप्रकार को चुनकर अपनी कंपनी का नाम देते ही हम पेज शुरु कर सकते है। वहीं यदि किसी कंपनी का कोई विशेष प्रोड्क्ट होगा तो उस प्रोड्क्ट के लिये तीसरे पर्याय को चुनकर पेज शुरु कर सकते है। व्यक्तिगत उपयोग के लिये चौथे पर्याय का प्रयोग कर सकते हैं। सेलिब्रटी, नेता, खिलाडी,गायक अथवा सामान्य व्यक्ति जो अपने विचार विश्व के सामने रखना चाहते है, वे इस पर्याय का प्रयोग कर सकते हैं। इसमें पत्रकार, प्रसिध्द व्यक्ति इत्यादि क़ॅटेगरिज हैं।
कोई कॉझ (विशिष्ट कारण) अथवा कम्युनिटी (संघटना) ही संबधित हो तो इस पर्याय के अंतर्गत पेज शुरु कर सकते हैं। इसमें उपप्रकार नहीं दिये गये हैं परन्तु आपकी कम्युनिटी अथवा कॉझ का नाम देना आवश्यक हैं। इनमें से कोई भी एक पर्याय चुनकर आगे जाना बंधनकारक हैं। अभी हम दूसरा प्रकार चुनते हैं जिसमें एक पेज शुरु किया जा सकता हैं। अब गेट स्टार्ट पर आपको सेट अप पेज की अगली विंडो दिखायी देंगी। इसमें सबसे पहला ऑप्शन जो दिखायी दे रहा है वह है,-
अबाऊट: इसमें आपको पेज की जानकारी देनी है। संक्षेप में डिस्क्रिप्शन (वर्णन) लिखना है। उसके बाद यदि इस विषय पर वेबसाईट होगी तो उसे देना है। अपने द्वारा दी गयी संस्था, प्रोडक्ट मूल है अथवा यह पेज उसी संस्था का अथवा उत्पादन का मूल पेज ओरिजनल पेज है, यह जानने के लिये नीचे के दो ऑप्शन आते हैं। सच्ची जानकारी के अनुसार येस अथवा नो चुनें। बाद में सेव्ह इन्फो करके अगले ऑप्शन पर जाये। अगले ऑप्शन में पेज के लिए;
प्रोफाइल फोटो:
जिसप्रकार हम फेसबुक प्रोफाइल पर फोटो डालते हैं, उसीतरह फेसबुक पेज पर भी फोटो डालें और सेव्ह इन्फो पर क्लिक करके आगे जायें। साथ ही साथ आप वेबसाईट से भी फोटो इंपोर्ट करके डाल सकते है। इसके लिये उस फोटो की यूआरएल यहाँ डालें और फोटो यहाँ पर अपने आपही आ जायेगा। यदि फोटो बाद में डालना हो तो आप यह स्टेप स्किप भी कर सकते हैं।
उसके बाद यदि आपको अपना यह पेज अपनी प्रोफाइल पर फेव्हरेट के रुप में जोडना हो तो इसका भी ऑप्शन यहाँ पर है। इसके लिये Add to Favorites का ऑप्शन क्लिक करें। ऐसा करने पर दिखाये गये चित्र के अनुसार यह पेज आपकी प्रोफाइल से जुड जायेगा।
अंतिम ऑप्शन स्किप करने के बाद आपका पेज खुलता हैं। साधारत: पेजेस का इंटरफेस फेसबुक प्रोफाइल जैसा ही है। परन्तु यहाँ पर आप पेज के ऍडमिन है। इसके कारण आपको सबसे पहले ऊपर ‘ऍडमिन पॅनल’ दिखायी देता है और उसके बाद नीचे वास्तविक पेज दिखायी देने लगता है।
सबसे पहले हम अब यह देखेंगे कि पेज का उपयोग कैसे करना है। थोडा नीचे स्क्रोल करने पर आपको ऊपर दिखाया गया स्क्रीन दिखायी देता है। यहाँ पर बायी और क्रमांक २ क भाग कव्हर पेज का भाग है। उस कव्हर फोटो के नीचे दहिनी ओर- १.अपडेट पेज इन्फो २.लाईक बटन और ३.फॉलो की बटनें होती है। (जबतक हम पेज को लाईक नहीं करते तबतक ही ये बटनें दिखायी देती हैं। लाईक करने के बाद ये बटनें दिखायी नहीं पडती) पेज की जानकारी पूरी करने के लिये शार्ट्कट ‘अपडेट पेज इन्फो’ बटन क्लिक करने पर मिलता है। अपने इंटरेस्ट का पेज लाइक करने के लिये ‘लाईक’ ‘Like’ बटन का प्रयोग करें। लाईक की बटन के साथ-साथ फेसबुक ने नयी तरह से फॉलो का बटन दिय है। शुरुआत में किसी पेज को लाईक करने के बाद उन पेजों के अपडेट्स अपनी न्यूजफीड में आया करते थे। परन्तु अब आपको पेज लाईक करने के बाद भी यदि अपडेट्स नहीं चाहियें हों तो आप फॉलो का अनफॉलो कर सकते है। किन्तु यदि एक बार पेज लाईक किया तो वो बाय डिफॉल्ड फॉलोंइंग होता है। भविष्य में फेसबुक रिव्ह्यू की भी बटन देने क विचार है। अर्थात लाइक्स के साथ ही साथ वह पेज आपको कितना अच्छा लगा,यह भी लिखा जा सकता हैं।
जिसप्रकार से आप प्रोफाइल पर फोट और कव्हर पेज ऍड करते है उसीतरह पेज को भी कव्हर फोटो और प्रोफाईल फोटो ऍड करें। प्रोफाइल और पेज का उपयोग करने का तरीका भी समान है।
प्रोफाइल और पेज में क्या फर्क है? फेसबुक ने व्यवासायिक उपयोग के लिये पेजेस का उपयोग करने को कहा है। यानी आपकी कंपनी होगी, कोई ब्रॅण्ड होगा अथवा आप कलाकार होंगे तो आपकी कला, व्यवसाय अथवा ब्रॅण्ड विश्व के समक्ष प्रस्तुत करने के लिये फेसबुक पेज का उपयोग कियाजा सकता है। केवल व्यवसायिक ही नहीं बल्कि आपके विचार, आपका कोई विधायक कार्य संसार के सामने प्रस्तुत करने के लिये तथा यदि आपकी वेबसाइट या ब्लॉग होगा तो उसके पूरक के रुप में आप फेसबुक के पेज तैयार कर सकते हैं। प्रोफाईल और पेज में बेसिक फर्क यह है कि प्रोफाईल में आप फ्रेंन्ड्स बढा सकते हैं।
आप आपके क्षेत्र की ताजी घटनायें, अथवा वेबसाईट ब्लॉग के अपडेटस फेसबुक पेज पर दे सकते हैं। जिसतरह फेसबुक प्रोफाईल का उपयोग पोस्टिंग के लिए किया जाता है उसीतरह वॉलपोस्ट, फोटो अपलोड, व्हिडिओ अपलोड, लिंक शेअरिंग के लिये फेसबुक पेज का उपयोग किया जाता है| इसमें केवल एक की अंतर है कि जो पोस्ट आप पेजेस पर डालते है, उन सबका ट्रॅक रखा जा सकता है। इसके लिये फेसबुक पेज में इनसाईट्स का अतिरिक्त फीचर होता है।
इनसाईट्स में आपकी कोई पोस्ट कितने लोगों तक पहुंची है, उसे कितने लोगों ने लाईक किया है, कितने शेअर्स किये गये है, इत्यादि सारी जानकारी मिलती है। इस जानकारी का उपयोग करके यह अध्ययन किया जाता है कि अपना पेज और अधिक किसप्रकार प्रसिद्ध किय जा सकता है और उसी के अनुसार पेज पर पोस्टिंग्स की जाती हैं।
कोई भी पोस्ट पब्लिश करने के बाद उसके बायें कोने में दिखायी देनेवाले छोटे ऍरो पर क्लिक करने पर चित्र में दिखाये गये तरीके से लिस्ट नीचे दिखायी देती हैं। उसमें पिन टु टॉप, एडिट, हायलईट, हाइड, फ्रॉम पेज, डिलिट और एम्बेड पोस्ट के ऑप्शन दिखायी देते हैं। ये ऑप्शन प्रत्येक पोस्ट पर आतें हैं।
पिन टु टॉप पिन टु टॉप पर क्लिक करने से यह पोस्ट टाईमलाइन पर हमेशा टॉप में ही दिखायी देती हैं। एक समय पर केवल एक ही पोस्ट इसतरह पिन टु टॉप की जा सकती हैं। साथ ही साथ हम यह पोस्ट हायलाईट भी कर सकतें हैं।
हायलाईट हायलाईट करने पर यह पोस्ट कव्हर फोटो की तरह संपूर्ण टाइमलाईन की लंबाई के बराबर दिखायी देती हैं। हम एक साथ कितनी भी पोस्ट हायलाईट कर सकते हैं। प्रोफाइल पिक्चर के नीचे के भाग में बायी ओर अबाऊट पेज का ऑप्शन दिखायी देता हैं उसमें पेज के बारें में प्राथमिक जानकारी देनी होती है। वही दाहिनी ओर जो टॅब्स दिखायी दे रहे हैं वहाँ पर फोटो, व्हिडिओ, नोट्स व अन्य ऍप्स के शार्टकट्स रखे जा सकते हैं। इसमें लाईक की टॅब पर क्लिक करने पर हम सीधे लाईक्स के इन्साईट्स पर जाते हैं। यहाँ पर हमें पता चलता है कि अपने पेज को कुल कितनी लाईक्स आयी हैं। उसी के साथ ‘People talking about this’ का ऑप्शन भी दिखायी पडता हैं। इसका अर्थ यह है कि अपने पेज पर लोगों ने चर्चा की है, पेज ओनर की दृष्टी से यह जानकारी अत्यंत महत्वपूर्ण होती हैं।
इसी तरह यदि हम फोटो, व्हिडिओ, नोट्स पर क्लिक करेंगे तो उनकी डिटेलिंग हमें मिलेगी। यह सब जानकारी आपको तभी मिल सकती है जब आप पेज के मालिक हों, अन्यथा पेज मालिक ने जो कुछ पब्लिक के लिये ओपन किया है उतना ही दिखायी देगा।
अब हम संक्षेप में ऍडि्मन पॅनल देखेंगे-
ऍडि्मन पॅनल के बायी ओर कोने में हमकों पोस्ट/नोटिफीकेशन विंडो दिखायी देती है। इस विंडो में हमारे पेज पर लोगों ने क्या ऍक्टिविटीज की है, उनकी जानकारी मिलती है। साथ ही साथ यह पता चलता है कि हमारी पोस्ट को कितना रिस्पॉन्स मिला है। ‘टोटल रिच’ का मतलब है कि कुल कितने लोगों ने हमारी पोस्ट देखी है। नोटिफिकेशन के विरुध्द बाजू में मेसेंजेस क इनबॉक्स आता है। तथा नीचे की ओर बायी तरफ से लाईक्स, इनसाईट्स ओर पेज टिप्स अर्थात प्रमोशन के लिये, विंडो आती है। मेसेजेस के ऊपर की ओर बिल्ड ऑडियन्स, एडिट प्रोफाइल, ये दो महत्वपूर्ण ऑप्शन आते हैं।
बिल्ड ऑडिएन्स में हम अपने मित्रों को पेज लाईक करने के लिये आमंत्रित कर सकते हैं। पेज शेअर कर सकते हैं। एक पेज के प्रमोशन के लिये यह टॅब अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उससे पहले एडिट पेज के ऑप्शन आते है। पेज की बेसिक जानकारी एडिट करने के लिये यहाँ से हम जा सकते हैं। यहाँ से हम पेज की जानकारी अपडेट कर सकते हैं।
अब अपडेट इन्फो पर क्लिक करने पर हमें चित्र में दर्शाया गया स्क्रीन दिखायी देता है। इसमें हम पेज की जानकारी एडिट कर सकते हैं। यहाँ पर फेसबुक पेज के लिये ‘युनिक यूआरएल’ लिया जा सकता हैं ओर आपका पेज आपके ट्विटर अकाऊंट से कनेक्ट किया जा सकता हैं।
पेज बनाते समय लगने वाली मूलभूत चीजों की पहचान तथा पेज लाईक करने के बारे में जानकारी इस लेख में दी गयी हैं। फेसबुक लगातार अपने इंटरफेस में बदलाव करता रहता है। यह संपूर्ण सोशल मिडिया की ही विशेषता है। फलस्वरुप पेज की कार्यप्रणाली में काफी कम समय में बदलाव आये है और भविष्य में भी होते रहेंगें, सी अपेक्षा है।
हम जब कोई पेज लाईक करते हैं तो माना जाता है कि हमार इंटरेस्ट उस पेज के विषय में हैं। अत: आपके पंसदीदा और हितकारी विषय वाले पेज को आप अवश्य लाईक करो परंन्तु किसी विचित्र व विक्षिप्त विषय वाले पेज को लाईक करने से पहले दस बार बिचार करो। क्योंकि पेज का उल्लेख हमारे न्यूजफीड में आता रहता है और यदि उस विषय को हमने लाईक वैगेरे किया तो वो हमारे मित्रों को भी दिखायी देने लगता है।
पेज के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें : १. फेसबुक प्रोफाइल की ५००० फ्रेन्ड्स की सीमा है परन्तु फेसबुक पेज को फ्रेन्ड्स की सीमा नहीं हैं। २. पेज पर आप अतिरिक्त ग्राफिक्स ऍड कर सकते हैं। प्रोफाइल पर यह संभव नहीं हैं। ३. फेसबुक पेज के प्रमोशन के अनेक पर्याय उपलब्ध है परन्तु प्रोफाईल को नहीं हैं। ४. एक साथ आप कितने भी पेजेस बना सकते हैं। ५. फेसबुक पेज आप फेसबुक के ही पेज मैनेजर ऍप से नियंत्रित कर सकते हैं। पेज मैनेजर ऍप अत्यंत सुंदर है। जो कुछ आप कॉम्प्युटर पर पेज के बारे में कर सकते है वो सब कुछ इस ऍप के माध्यम से भी कर सकते हैं।
आपके अथवा आपके व्यवसाय को एक नई और अलग पहचान देना होगा तो फेसबुक एक जुगाड पर्याय है। यदि आपको व्यवसाय शुरु करने के लिये कहीं पर भी जगह न मिलें तो फेसबुक के पास आपके लिये निश्चित रुप से स्थान है। सिर्फ स्थान ही नहीं बल्कि ग्राहक भी हैं। यदि आप कलाकार हैं तो फेसबुक के पास रंगमंच हैं। आप चित्रकार हैं तो फेसबुक के पास प्रदर्शन गॅलरी है। फिर आप किस बात का रास्ता देख रहें हों? क्रिएट पेज के ऑप्शन पर क्लिक करो.....।
इसप्रकार हमनें फेसबुक की पहचान करके उसपर अकाऊंट शुरु करना सीख लिया। उसकी कुछ बारीकियों को समझते-समझते हम पेज बनाना भी सीख गये। अब इस फेसबुक उपयोग हम मोबाइल से भी कर सकते हैं।
आते जाते लाईक्स कमेंट शेअर....... फेसबुक ऍप्स यदि आपके मोबाइल फोन पर इंटरनेट आ रहा होगा तो आप फोन पर भी फेसबुक का उपयोग कर सकते हैं। यदि आपका फोन ऍन्ड्रोइड, ऍपल- आय ओ एस अथवा ब्लॅक बेरी होगा तो यह फेसबुक आप अच्छीतरह से उपयोग कर सकते हैं। अन्य कुछ फो्न्स से भी आप फेसबुक ऍप क उपयोग कर सकते हैं।
यदि मोबाइल पर फेसबुक का उपयोग करना हो तो आपको उन ऍन्ड्रोइड के लिये ‘गुगल प्ले स्टोअर’ अथवा आयफोन ‘ऍपल स्टोअर’ से डाऊन लोड करना पडता है। एक बार मोबाइल पर ऍप इन्स्टोल हो जाने पर उसमें ’साईन इन’ करके उपयोग में लाना शुरु करें। मोबाइल व काम्प्युटर में कभी भी फेसबुक क उपयोग करने से पहले अपना ई-मेल और पासवर्ड डालकर ‘साइन इन’ करें।
अपने फेसबुक का उपयोग करने के बाद उससे बाहर निकल जायें। बाहर निकलनें के लिये लॉग आऊट बटन पर क्लिक करें। फेसबुक के होम पेज पर दायी ओर कोने में आनेवाले सेटिंग्स की लिस्ट में लॉग आऊट का ऑप्शन आता हैं। फेसबुक का उपयोग करके हम अनेकों चीजें कर सकते हैं। वर्तमान युग में यदि हमें सभी क्षेत्रों में अपने आप को अपडेट रखना हो तो फेसबुक जैसा साथ आज दूसरा कोई भी नहीं दे सकता। इस फेसबुक के कारण अपने बच्चों से दूर एकांत में रहनेवाले वृध्द जोडों को आधार मिला हैं। बुढापे में भी कुछ नया सीखने की जिज्ञासा रखने वालो के लिये फेसबुक पर प्रतिदिन कुछ तो नया सीखने के लिये मिलता हैं।
आजी-बाबा अपने सोलह वर्ष के नाती-नातिन से फेसबुक सीख रहे हैं। फलस्वरुप उनके बीच की बाँडींग अधिक मजबूत होने के अनेको उदाहरण मिलते हैं। इससे यह बारम्बार सिध्द हो चुका है कि फेसबुक नातों में आयी दरार दूर करने का काम कर सकती है। मैत्री जैसा सुखद नाता दूसरा कोई भी नहीं हैं। मैत्री की संकल्पना ही फेसबुक की नींव है। देखो ना। फेसबुक पर फ्रेन्डलिस्ट ही है, एनिमी लिस्ट नहीं हैं। तात्पर्य यह है कि फेसबुक मित्र जोडती है और उसमें भी पुराने मित्र जोडती है और नये मित्र बनाने का अवसर देती है।
इससे हमें क्या लगता है, मालूम है क्या? फेसबुक साईट नहीं बल्कि एक स्थल है। हम सब के लिये यह एक चबूतरा है। पहले मित्र किसी एक चबूतरें पर जमा होते थे, वार्तालाप करते थे, शेअर करते थे। परन्तु वर्तमान में जागतिक स्पर्धा में अपने अस्तित्व को बचाये रखने के प्रयास में ये चबूतरे पीछे पडने लगे हैं। इन चबूतरों पर नव-नवीन कल्पनायें उदित होती थी। कभी कोई कष्ट, दु:ख आजाने पर उस चबूतरे और चबूतरे पर जमा होने वाले मित्रों को एक-दूसरे का आधार मिलता था। नाराज हुये तो भी चबूतरे पर जमा होते थे, आनंद हुआ तो भी चबूतरे पर जमा होते थे। चबूतरे पर ही जल्लोष भी हुआ करता था। यहाँ तक कि शादियां भी इसी चबूतरे पर तय हो जाया करती थी। फलस्वरुप इन चबूतरों का सभी के दिनों में एक विशिष्ट स्थान है। क्योंकि इस चबूतरे पर ‘मित्र’ हुआ करते थे, मैत्री हुआ करती थी, ‘अपनत्व’ हुआ करता था, रिश्ते फलते-फूलते थे।
किसी की कालनी का यह चबूतरा हो था, तो किसी के कॉलेज का........ परन्तु आज हर किसी के मन में इस चबूतरे की जगह रिक्त हो गयी है, रिक्तता बन गयी है। इस रिक्तता को भरने का काम फेसबुक ने किया है और इसलिये सोशल मिडिया में फेसबुक का महत्व असाधारण है........ सिर्फ इस प्रवाह में उतरने की, संसार से स्वत: को जोडने की, मित्र बनाने की और मित्र बनने की अपनी इच्छा होनी चाहिये।
॥हरि ॐ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥