संकल्पसुपारी
प्रतिवर्ष सद्गुरु श्रीअनिरुद्ध बापू के घर ढाई दिन गणेशोत्सव बडे ही उत्साह के साथ एवं भक्तिमय वातावरण में मनाया जाता है और अनेक श्रद्धावान बापू के घर के गणपति के दर्शन करने भारी संख्या में आते हैं।
‘गुरुनाम आणि गुरुसहवास। गुरुकृपा आणि गुरुचरण पायस। गुरुमंत्र आणि गुरुगृहवास। महत्प्रयास प्राप्ती ही।।’ (गुरुनाम, गुरुसहवास, गुरुकृपा, गुरुचरणतीर्थ, गुरुमंत्र और गुरुगृहवास की प्राप्ति अत्यधिक प्रयास से होती है, ऐसा श्रीसाईसच्चरित में कहा है। सद्गुरु श्रीअनिरुद्ध के घर जाकर, श्रीगुरु दत्तात्रेयजी के साथ रहने वाले श्रीगणेश की मंगलमूर्ति के दर्शन करने मिलना यह श्रद्धावानों के लिए आनन्द का पर्व ही होता है।
‘ये हम सबके अपने ही घर के गणपति हैं’ ऐसा बापू भी सभी श्रद्धावानों से कहते हैं और श्रद्धावान भी इसी भावना के साथ गणेशजी के दर्शन करते हैं। गणपति की आरती के ध्रुवपद की पंक्ति ‘जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती । दर्शनमात्रे मन कामना पुरती ॥’ ऐसी है। श्रीगणेशजी के दर्शन करते समय कामनापूर्ति के लिए अथवा रुकावटें दूर हों इसलिए भक्तिमय संकल्प करते हैं यानी यहाँ के
गणेशजी से मन्नत मानते हैं और उस संकल्प के प्रतीक के रूप में यहाँ के गणपति के सामने संकल्पसुपारी रखते हैं। इसी तरह कामना पूरी हो जाने के बाद श्रीगणेश के चरणों में मन्नत की पूर्तता भी करते हैं।
ऐसे इन श्रीगणेश के दर्शन करने गत अनेक वर्षों से श्रद्धावान अपने परिवार सहित भक्तिभाव के साथ आ रहे हैं और गणेशजी के दर्शन से, आशीर्वाद से तृप्त हो रहे हैं।