पत्थर में से अनावश्यक हिस्से को तराशने से मूर्ति बनती है (Carving Unnecessary Parts From A Stone Converts It Into A Statue) किसी मनुष्य का, किसी आदत का या किसी तत्त्व का गुलाम नहीं बनना चाहिए। नियमों का पालन अवश्य करें, लेकिन ‘नियमों के लिए इन्सान नहीं है बल्कि इन्सान के लिए नियम है’ इस बात को न भूलें। मानव को चाहिए कि उसने स्वयं ही मन पर जो दूसरों की राय आदि बातों के अनावश्यक आवरण चढा लिये हैं, उन्हें वह हटा दे। पत्थर में से अनावश्यक हिस्से को तराशने से मूर्ति बनती है, इस बारे में परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने अपने ०९ अक्टूबर २०१४ के हिंदी प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥