आश्वासक बापू Bapu's reassurance and care - Hindi
॥ हरि ॐ॥
कल श्रीहरिगुरुग्राम में हुए प्रवचन में, श्रीअनिरुद्धजी ने भारत में हाल ही में हुईं कुछ घटनाओं पर भाष्य किया; जिन घटनाओं के कारण सारा भारत हिल गया था, दहल गया था| हर एक समझदार और संवेदनशील भारतीय नागरिक इन घटनाओं से व्यथित हो गया| बापु ने अपने इस प्रवचन में अपने सभी श्रद्धावान मित्रों को एक आश्वासक दिलासा दिया| बापु के इस प्रवचन का महत्त्वपूर्ण ‘आश्वासक’ भाग इस ब्लॉगपोस्ट के साथ नीचे दे रहा हूँ|
‘‘गत तीन चार दिनों में, ख़ास कर पिछले ह़फ़्ते में टि.व्ही. चॅनल्स, समाचारपत्रों में हम देख रहे हैं कि जनतन्त्र रहनेवाले सार्वभौम भारत में स्त्री को क्या भुगतना पड़ता है, स्त्री की इ़ज़्ज़त के साथ किस तरह बीच रास्ते पर खिलवाड़ की जाती है और उसकी क्या हालत होती है.... और उस ख़बर को देखते हुए, उससे संबंधित न रहने के बावजूद भी आप सब को कितना ग़ुस्सा आ रहा था... वह मैंने सुना, वह मैंने देखा और मुझे गर्व है इस बात का| तुम्हारा ख़ून खौल उठा, तुम्हें बहुत ग़ुस्सा आया, बाहें फड़क रही थीं, इससे मैं आनन्दित हूँ| लेकिन ये जो महिलाएँ यहॉं पर बैठी हैं, मैं उनसे एक बात कहना चाहता हूँ कि क़ुदरत ने स्त्री और पुरुष यह भेद भले ही किया हो, उसके अनुसार उनकी शरीररचना अलग अलग हो, मग़र तब भी उनके नसीब में कोई भेद नहीं किया हुआ होता है| आज के ज़माने में कुछ विशिष्ट प्रवृत्तिवाले लोगों में पुरुषों पर भी बलात्कार होते हैं|
मेरा इस या उस बात से कोई संबंध नहीं है| अन्याय करनेवाला, शोषण करनेवाला और जिसका शोषण हो रहा है वह, जिसपर अन्याय हो रहा है वह इन दो ही जातियों को मैं मानता हूँ| स्त्री पर बलात्कार करने कोई आता है, तब क़ानून की राह पर चलकर कम्प्लेंट करने तक वह मनुष्य बलात्कार करके जा चुका होता है| कम्प्लेंट करके उसे सज़ा तो मिलेगी, लेकिन जीवन भर के लिए उस स्त्री के मन पर जो घाव बन गया, उसका क्या? उसकी जो हालत हुई, उसका क्या? जिसे अपनी जान गँवानी पड़ी, उसका क्या? आज यहॉं बैठे हुए पेरेंट्स् यही सवाल लिये आये हैं| ‘बापु, हमारी बेटियॉं अकेली जाती हैं, हमें डर लगता है|’ गत दो साल से ये खत मुझे बार बार आ रहे हैं| ‘बापु, हमें डर लगता है कि सुबह घर से निकली हुई बेटी रात को ठीक से घर वापस आयेगी ना?’ हर एक भली स्त्री के मन में भी आज यही डर है कि न जाने कौन कहॉं क्या करेगा, यह नहीं कहा जा सकता| चलती हुई बस में यदि बलात्कार हो सकता है, तो फिर अब तो कदम कदम पर डर ही है| ऐसे में हमे क्या करना चाहिए?
आज के ज़माने में मैं ख़बर सुनता हूँ कि युवकों पर भी कुछ पुरुष बलात्कार करते हैं, स्त्रियों पर भी करते हैं| उनके लिए मैं कुछ कलम बतानेवाला हूँ|
कलम १: जो शोषित है, जो बलात्कारित स्त्री है या जो बलात्कारित युवक है, वह यदि हर रोज़ १०८ बार ११ दिन तक अनिरुद्धचलीसा का पाठ करता है, तो जिसने बलात्कार किया है, वह फ़ौरन नपुंसक बन जायेगा, यह मेरा वरदान है| केवल नपुंसक ही नहीं बनेगा, बल्कि उसकी नपुंसकता का पता सारी दुनिया को चल जायेगा और उसकी थुक्का-फ़जीहत होगी यह भी ध्यान में रखना|
कलम २: जो स्त्री या जो असहाय युवक गुरुक्षेत्रम् मन्त्र का हर रोज़ कम से कम ५ बार पाठ करता है, उसपर कोई बलात्कार कर ही नहीं सकता| चाहे १०० लोगों की गँग भी क्यों न आ जाये और वह व्यक्ति अकेला हो, तब भी यह मुमक़िन नहीं हो सकता, यह मेरा वचन है| ऐसे व़क़्त में मैं स्वयं आड़े आ जाऊँगा यह बात ध्यान में रखना| जिन्हें संस्कृत उच्चारण करना बिलकुल भी नहीं आता, वे इस गुरुक्षेत्रम् मन्त्र को यदि टूटी फूटी भाषा में कहते हैं, तब भी वह मेरे द्वारा दुरुस्त (करेक्ट) किया गया होगा और उससे फ़ायदा आप ही को मिलेगा यह भी ध्यान में रखना|
कलम ३: मातृवात्सल्यविन्दानम् की अपनी एक पारायणपद्धति है और साथ ही उसे हम नित्य (रेग्युलर) भी पढ़ सकते हैं| मातृवात्सल्य-उपनिषद् का पाठ करने के लिए मैंने कोई बन्धन नहीं रखा है| आप किसी भी अध्याय को कितनी भी बार पढ़ सकते हैं| किसी भी क्रम से अध्याय पढ़ सकते हैं| जिस स्त्री या पुरुष के मन में यह डर है कि मुझ पर कोई अन्य पुरुष या मुझ से ताकतवर व्यक्ति बलात्कार कर सकता है, वे मातृवात्सल्य-उपनिषद् के माता शिवगंगागौरी के जो दो अध्याय हैं, उनका एक बार भी यदि पाठ करते हैं और उसके बाद माता शिवगंगागौरी से प्रार्थना करते हैं कि मुझे इस व्यक्ति से इस तरह का डर लगता है, तो उनका वह डर फ़ौरन नष्ट हो चुका होगा, क्योंकि भय का कारण ही नष्ट हो चुका होगा, डर का कारण ही नहीं रहेगा|
कलम ४: हमें मन्त्र कहना नहीं आता, तो हम क्या करें? जिनका अध्ययन नहीं हुआ है, जो पढ़ लिख नहीं सकते या हकलाते हैं या गूँगे हैं, तो मन ही मन में केवल ‘अनिरुद्ध’ ‘अनिरुद्ध’ इतना कहोगे, तब भी ये सारे काम यानी यह वाचन, पाठ मैं अकेला तुम्हारे लिए करूँगा और उसका फल भी तुम तक ले आकर पहुँचाऊँगा, यह मेरा वादा (प्रॉमिस) है|
कलम ५: अहिल्या संघ, बल ग्रुप और चण्डिका आर्मी जो हमने स्थापित की है, उनमें रहनेवालीं सभी स्त्रियों से मैं कहता हूँ कि अहिल्या संघ में मैं तुम्हें ऐसी तकनीक (टेक्नीक) सिखाऊँगा, जिससे कि तुम तुम्हें हाथ लगानेवाले को चंद ५ सेकंड्स् में वहीं पर हमेशा के लिए नपुंसक बना सकती हो| तुम्हारा वज़न चाहे ३० किलो हो, तुम अभी अभी बुख़ार से ठीक हुए हो, तुम में दो कदम तक चलने की ताकत भी न हो, तब भी तुम यह कर सकोगे, यह गॅरंटी मैं तुम्हें देता हूँ|
तो बिनधास रहिए| हम बापु की बेटियॉं हैं, हम बापु के बालक हैं| हमें किसी के बाप से डरने की कोई ज़रूरत नहीं है| वे अकेले हमारी हिफ़ाज़त करने के किए समर्थ हैं| शर्त बस एक ही है- मुझसे झूठ न बोलना| झूठ बोलोगे तो ये सब बातें फलित नहीं हो सकतीं| मेरी इस एक शर्त का पालन तुम करते हो, तो मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हूँ|
॥ हरि ॐ॥