भारत के रक्षा क्षेत्र से जुडी गतिविधियां - 2
चीन और पाकिस्तान का एक ही समय सामना करने के लिए वायुसेना सुसज्जित – भारत के नए वायुसेना प्रमुख का संदेश
नई दिल्ली – चीन और पाकिस्तान का एक ही समय सामना करने की पूरी सिद्धता भारत की वायुसेना ने रखी है, ऐसा संदेश नए वायुसेना प्रमुख विवेक राम चौधरी ने दिया। लद्दाख के दक्षिणी भाग के पास होनेवाले तिब्बत में चीन ने भारी मात्रा में तैनाती बढ़ाई होकर, चीन के हवाई बल ने यहाँ ज़ोरदार तैयारी शुरू की होने की खबरें आ रही हैं। लेकिन चीन की यहाँ की तैनाती का भारत की सुरक्षा पर असर नहीं होगा, क्योंकि वायु सेना ने आवश्यक सारे एहतियात बरते हैं, ऐसा यकीन वायुसेना प्रमुख ने दिलाया।
वायु सेना के ८९ वें स्थापना दिन की पूर्व संध्या पर एअरचीफ मार्शल व्हीआर चौधरी ने माध्यमों के साथ संवाद किया। पिछले कुछ दिनों से चीन ने लद्दाख की एलएसी से सटे भाग में बड़े पैमाने पर तैनाती की होने की खबरें आ रही हैं। ख़ासकर तिब्बत में तीन रनवेज़ चीन ने कार्यान्वित किए होकर, यहाँ के चीन के हवाई बल की हरकतें गौरतलब साबित हो रहीं हैं। उसी समय चीन ने अपने लष्कर की भी इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर तैनाती की है। इससे ये दावे किए जा रहे हैं कि चीन फिर एक बार एलएसी पर भारत के विरोध में हरकत करने की तैयारी कर रहा है। उस पृष्ठभूमि पर, नए वायुसेना प्रमुख ने देश को आश्वस्त किया।
अधिक पढिये : http://www.newscast-pratyaksha.com/hindi/air-force-ready-face-china-pakistan/ चीन सीमा पर ‘आयटीबीपी’ के अतिरिक्त १० हज़ार सैनिकों की तैनाती होगी
नई दिल्ली – भारत-चीन के ‘एलएसी’ पर भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (आयटीबीपी) के अतिरिक्त १० हज़ार सैनिकों की तैनाती करने पर केंद्र की सरकार विचार कर रही है। चीन के तकरीबन १०० सैनिकों ने बीते हफ्ते उत्तराखंड़ के बाराहोती क्षेत्र में घुसपैठ करके एक पुल को नुकसान पहुँचाने की खबरें प्राप्त हुईं थी। साथ ही चीन ने ‘एलएसी’ पर फिर से अपनी तैनाती बढ़ाने की बात भी सामने आ रही है। लद्दाख से सेना हटाने के मुद्दे पर भारत और चीन के वरिष्ठ लष्करी अफसरों की १३ वें दौर की बातचीत इस महीने होगी। इससे पहले चीन की सीमा पर अतिरिक्त १० हज़ार सैनिकों की तैनाती करने पर विचार होने का प्राप्त वृत्त बड़ी अहमियत रखता है।
‘एलएसी’ पर ‘आयटीबीपी’ के अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती होने से सरहदी क्षेत्र में गश्त बढ़ाना मुमकिन होगा। साथ ही सीमा चौकियों पर तैनात सैनिकों को बदलना भी आसान होगा। फिलहाल सीमा पर तैनात सैनिकों को तीन महीने में एक बार बदला जाता है। भारत-चीन के ‘एलएसी’ पर १८० सीमा चौकियाँ हैं और हरएक चौकी पर १४० सैनिक तैनात रहते हैं। बीते वर्ष गलवान में संघर्ष के बाद तनाव बढ़ने पर ‘एलएसी’ पर ४७ नई चौकियों का निर्माण करने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी प्रदान की थी। इसके अलावा इन सैनिकों के लिए राशन और अन्य सामान की आपूर्ति के लिए १२ छांवनियाँ स्थापित करने के लिए भी सरकार ने मंजूरी प्रदान की है। साथ ही यह छांवनी अस्थायी सीमा चौकियों का भी काम करेंगी। अतिरिक्त सीमा चौकियों के कारण दो चौकियों के बीच की दूरी भी कम होगी।
अधिक पढिये : http://www.newscast-pratyaksha.com/hindi/deploy-additional-itbp-personnel-border/ वायुसेना के १७ वें स्क्वाड्रन और थलसेना की सिख लाईट इन्फन्ट्री में हुआ समझौता
अंबाला – सुरक्षा विषयक चुनौतियों का दायरा बढ़ने की स्थिति में मुकाबला करने के लिए भारतीय रक्षाबलों का समन्वय और सहयोग अधिक व्यापक करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इसके अनुसार सोमवार के दिन भारतीय वायुसेना के १७ वें स्क्वाड्रन और भारतीय थलसेना की सिख लाईट इन्फन्ट्री रेजिमेंट ने संलग्नता के मुद्दे पर समझौता हुआ। सेनाप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे की मौजूदगी में इस समझौते पर हस्ताक्षर करने का समारोह हुआ।
लद्दाख की ‘एलएसी’ पर चीन की सेना ने घुसपैठ करने के बाद भारतीय सेना के साथ वायुसेना भी इस क्षेत्र में चीन को भारत पर वर्चस्व स्थापित करने का अवसर प्राप्त ना मिल सके, इसके लिए पूरी सावधानी बरत रही है। ‘एलएसी’ का हवाई क्षेत्र भारतीय वायुसेना के नियंत्रण में होने की गवाही पूर्व वायुसेनाप्रमुख आर.के.एस.भदौरिया ने दी थी। उस दौर में थलसेना और वायुसेना का समन्वय और सहयोग अधिक मज़बूत करने की आवश्यकता फिर से सामने आयी। रक्षाबलों की संगठित कार्रवाई ऐसी चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए बड़ी आवश्यक होने की बात कहकर रक्षाबलप्रमुख जनरल रावत, सेनाप्रमुख जनरल नरवणे, पूर्व वायुसेनाप्रमुख भदौरिया और नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबिर सिंह ने ‘युनिफाईड थिएटर कमांड’ की कल्पना रेखांकित की है।
सोमवार के दिन अंबाला स्थित वायुसेना के अड्डे पर वायुसेना के १७ वें स्क्वाड्रन और भारतीय थलसेना की सिख लाईट इन्फन्ट्री रेजिमेंट का यह समझौता हुआ।
अधिक पढिये : http://www.newscast-pratyaksha.com/hindi/agreement-17-air-force-squadron-army-sikh-light-infantry/ चीन की आक्रामकता में गौरतलब वृद्धि होते समय लष्करप्रमुख जनरल नरवणे द्वारा लद्दाख में रक्षा सिद्धता का मुआयना
नई दिल्ली/लद्दाख – भारत और चीन के बीच का सीमा विवाद जब तक सुलझाया नहीं जाता कामा तब तक एलएसी पर दोनों देशों की सेनाएं आमने सामने आती रहेंगी, ऐसी चेतावनी लष्करप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने दी थी। इसके दूसरे ही दिन लष्करप्रमुख लद्दाख में दाखिल हुए और उन्होंने यहाँ की रक्षा सिद्धता का मुआयना किया। एलएसी पर बढ़े तनाव के लिए भारत और चीन एक-दूसरे को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं, ऐसे में लष्करप्रमुख की यह लद्दाख भेंट गौरतलब साबित होती है।
भारत और चीन की प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर बढ़े हुए तनाव के लिए भारत ही ज़िम्मेदार होने का ठीकरा चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने फोड़ा था। पत्रकार परिषद में बात करते समय चुनयिंग ने ऐसा दोषारोपण किया था कि भारतीय सेना ने चीन की सीमा में घुसपैठ की और यही दोनों देशों में बढ़े हुए तनाव का प्रमुख कारण है। वहीं, भारत में नियुक्त चीन के राजदूत सन वुईडाँग ने, क्वाड में भारत का सहभाग पंचशील की नीतियों का उल्लंघन साबित होता है, ऐसी नाराज़गी ज़ाहिर की थी। इससे चीन का वास्तविक दुखड़ा सामने आया है। क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमरीका दौरे में, क्वाड के नेताओं की पहली प्रत्यक्ष बैठक संपन्न हुई थी। उसके बाद चीन अलग-अलग मार्गों से नाराज़गी दर्ज़ करता दिख रहा है।
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लगभग १३ हज़ार करोड रुपए से अधिक मूल्य के हथियार और रक्षा सामग्री की खरीद को मंजुरी
नई दिल्ली – पाकिस्तान और चीन के साथ की सीमा पर परिस्थिति संवेदनशील बनी है, ऐसे में रक्षा मंत्रालय ने एक अहम फैसला किया। इसके अनुसार लगभग १३,१६५ करोड़ रुपए की रक्षा सामग्री और हथियारों की खरीद की जानेवाली है। इनमें ‘अॅडव्हान्स लाईट हेलिकॉप्टर्स’ और रॉकेट्स का समावेश है। कुछ दिन पहले रक्षा मंत्रालय ने अर्जुन टैंक्स के खरीद प्रस्ताव को मंजुरी दी थी।
अॅडव्हान्स लाईट हेलिकॉप्टर्स (एएलएच) की श्रेणी के लगभग २५ हेलिकॉप्टर्स की खरीद करने के तकरीबन ३,८५० करोड़ रुपयों के खरीद व्यवहार को रक्षा मंत्रालय ने मान्यता दी। वहीं, रॉकेटस् अॅम्युनेशन के लिए ४,९६२ करोड़ रुपयों का प्रावधान किया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग की अध्यक्षता में संपन्न हुई बैठक में ये फैसले किए गए। कुछ ही दिन पहले रक्षा मंत्रालय ने, अर्जुन टैंक के संदर्भ में ७,५२३ करोड रुपयों के खरीद व्यवहार को मान्यता दी थी। उससे पहले लगभग २१ हजार करोड़ों रुपयों के ‘सी-२९५’ इस लष्करी यातायात करनेवाले विमानों की खरीद का फ़ैसला हुआ था।
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