तुर्की-सीरिया भूकंप

भूकंप पीड़ितों के असंतोष के कारण तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन के सामने राजनीतिक संकट – अंतरराष्ट्रीय माध्यमों का अनुमान

भूकंप

अंकारा/इस्तंबूल – भीषण प्रलयंकारी भूकंप से पीड़ीत तुर्की की जनता को सरकारी सहायता देर से पहुँचने की शिकायतें सामने आ रही हैं। कुछ हिस्सों में घायलों को मलबे से निकालने में छह दिन लग गए, ऐसी शिकायतें भी हो रही हैं। इस लापरवाही के लिए राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन की उदासीनता ज़िम्मेदार है, ऐसा आरोप तुर्की में तीव्र हो रहा है। इसका असर जल्द ही तुर्की में होने वाले चुनावों पर पडेगा और एर्दोगन अपनी हुकूमत खो बैठेंगे, ऐसा दावा अंतरराष्ट्रीय माध्यम कर रहे हैं।

पिछले हफ्ते प्रलंकारी भूकंप ने बड़ी तबाही मचाकर तुर्की और सीरिया को दहला दिया था। इस भूकंप में मारे गए लोगों की संख्या ४१ हज़ार तक जा पहुँची है। सिर्फ तुर्की में ही इस भूकंप से ३५ हज़ार लोगों की मौत हुई है। पिछले १०० सालों में यह सबसे बड़ा प्रलयंकारी भूकंप होने का दावा किया जा रहा है। ऐसे में अंताक्या, हताय क्षेत्रों में भूकंप पीड़ितों के लिए अब तक सहायता पहुंच नहीं पाई है। कुछ ठिकानों पर इमारतों के मलबे में तीन से पांच हज़ार लोग फंसे होने की चिंता जताई जा रही है। इससे तुर्की में इस भूकंप की तबाही में मरनेवालों की संख्या अधिक बढ़ेगी, यह दावा भी किया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने ऐसी चेतावनी भी दी थी।

तुर्की और सीरिया के भूकंप से मरनेवालों की संख्या ३३ हज़ार तक पहुंची – इसमें ५० हज़ार से भी अधिक के हताहत होने का संयुक्त राष्ट्र संघ का दावा

अंकारा –  तुर्की और सीरिया को दहलाने वाले भूकंप में मरनेवालों की संख्या बढ़कर ३३ हज़ार से भी अधिक हुई हैं। ऐसे में इन मृतकों की कुल संख्या ५० हज़ार से भी अधिक हो सकती है, ऐसा दहलाने वाली चिंता संयुक्त राष्ट्र ंसघ ने जताई है। इसी बीच, तुर्की में राहतकार्य कर रहे जर्मनी के दल ने यहां पर महामारी का फैलाव हो सकता है, ऐसा इशारा भी दिया है। इसके साथ ही तुर्की और सीरिया के भूकंप पीड़ितों के लिए अस्थायी विजा देने की तैयारी जर्मनी ने दिखाई हैं।

तुर्की और सीरिया में ढ़ही इमारतों के मलबे में फंसे लोगों को बाहर निकालने का काम अभी भी जारी है। कुछ लोग पांच दिन से अधिक समय तक मलबे के नीचे दबने के बावजूद जीवित होने की चौकाने वाली खबरें प्राप्त हो रही है। लेकिन, तुर्की में विभिन्न देशों के दल राहतकार्य में जुटे होने के साथ ही इसकी तुलना में सीरिया में राहतकार्य को अभी गति प्राप्त ना होने की बात सामने आ रही है। सीरियन हुकूमत के विरोधियों के कब्जे के क्षेत्र में राहतकार्य को अभी भी गति प्राप्त नहीं हुई है, यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र संघ ने प्रदान की।

तुर्की-सीरिया भूकंप में मरने वालों की संख्या बढ़कर दोगुनी होने की संभावना – संयुक्त राष्ट्र संघ की चिंतावनी

अंकारा/दमास्कस – तुर्की-सीरिया को ७.८ रिश्टर स्केल तीव्रता के भीषण भूकंपने दहलाने से वहां पर हुई तबाही में २६ हज़ार से भी अधिक लोगों की मौत होने का दावा किया जा रहा हैं। लेकिन, अभी भी काफी मलबा हटाने का काम अभी बादी है। इस वजह से इस भूकंप में मरने वालों की संख्या बढ़कर दोगुनी होगी, ऐसा ड़र संयुक्त राष्ट्र संघ के आपाद विभाग से जुडे संचालक मार्टिन ग्रिफिथ्स ने जताई। इसी बीच सोमवार को महसूस हुए बड़े झटके के बाद तुर्की को १,८०० से अधिक झटके लगे। इससे २७ हज़ार से अधिक इमारतें, घर, कारखाने गिरने का दावा किया जा रहा है।

तुर्की-सीरियाइस दशक के सबसे बड़े भूकंप का मुकाबला कर रहे तुर्की और सीरिया की सहायता के लिए एक सौ से भी अधिक देश आगे आए हैं। दोनों देशों में भूकंप पीड़ितों के लिए भारी मात्रा में वैद्यकीय एवं अन्न सहायता मुहैया करायी जा रही हैं। तुर्की के पश्चिमी ओर स्थित ग्रीस और पूर्व के अर्मेनिया ने पिछले कई सालों का बैर भूलकर भूकंप पीड़ितों की सहायता के लिए अपनी सीमा खुली की है। ऐसे में अमरीका ने भी अस्थायी रूप से सीरिया पर लगाए प्रतिबंध हटाकर भूकंप पीड़ितों के लिए सहायता घोषित की है।

भूकंप प्रभावित तुर्की को सहायता प्रदान कर रहे भारत के ‘ऑपरेशन दोस्त’ का विदेश मंत्री ने किया समर्थन

नई दिल्ली – तुर्की और सीरिया में हुए भूकंप से हुई तबाही में मरने वालों की संख्या अब ११,२०० से अधिक हुई हैं और ऐसे में भारत ने इन देशों को सहायता मुहैया करने के लिए अबतक छह ‘सी-१७’ विमानों से राहत सहायता भेजी है। भारत युद्ध स्तर पर तुर्की को सहायता प्रदान कर रहा हैं और ऐसे में कुछ लोगों ने तुर्की ने भारत के विरोध में पहले अपनाई भूमिका का दाखिला दिया है। ऐसे देश को सहायता करना कितना उचित होगा, ऐसा सवाल सोशल मीडिया पर कुछ भारतीयों ने किया है। भारत के विदेश मंत्री से भी माध्यमों ने इसी मुद्दे पर सवाल किए थे। इसके जवाब में विदेश मंत्री जयशंकर ने यह अहसास कराया कि, भारत हमेशा से मावनता के पक्ष में खड़ा रहनेवाला देश हैं।

हम रोजाना भू-राजनीतिक स्तर पर उतार-चढ़ाव का अनुभव करते रहते हैं। लेकिन, संकट समय में भारत के अन्य देशों से स्थिर संबंध रहे हैं। भारत ‘वसुधैव कुटुंबकम’ यानी पूरा विश्व एक परिवाह ही हैं, इस सिद्धांत पर भरोसा करता है। इसी वजह से भारत हमेशा से मानवता के पक्ष में खड़ा रहता हैं, ऐसा कहकर विदेश मंत्री जयशंकर ने तुर्की को सहायता मुहैया कराने के निर्णय का समर्थन किया। ‘ऑपरेशन दोस्त’ अभियान के तहत भारत ने भयंकर संकट से घिरे तुर्की को अबतक बड़ी सहायता प्रदान की है। यह सहायता सीर्फ जरूरी सामान और वैद्यकीय सहायता तक सीमित नहीं हैं। इसके साथ भारत के ‘एनडीआरएफ’ के दल तुर्की में राहत कार्य कर रहे हैं। साथ ही भारतीय सेना के वैद्यकीय दल तुर्की में भूकंप प्रभावित लोगों पर इलाज और दवाईयां दे रहा है।

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