त्रिविक्रम एकसाथ तीन कदम चलते हैं (Trivikram walks 3 steps at a time) - Aniruddha Bapu
सद्गुरु श्री अनिरुद्ध ने ६ मार्च २०१४ के पितृवचनम् में ‘त्रिविक्रम एकसाथ तीन कदम चलते हैं’ इस बारे में बताया।
जल जो है इस पृथ्वी पर, पृथ्वी के अंतरिक्ष में हो या पृथ्वी पर हो, कुए में हो या नदी में हो या सागर में हो, आपके बदन में हो, कहीं भी हो, ये जल जितना बना पहले, उतना ही है। करोडों करोडों साल पहले जितना जल बना, वही, उतना ही आज है। जल नया नहीं बन सकता।
यानी कि हम लोग कहते हैं ना पुरखों से, पुरखों की बात छोड दो, हमारे पुरखों के पुरखों के आदिपुरख जो भी होंगे, जहां से पृथ्वी आयी है, वही जल हमारे आदि पहले के लोग और सभी लोग इस्तेमाल करते आये हुए हैं। This is the same water. So ध्यान में रखिये की जब भगवान परशुराम इस पृथ्वी पर चल रहे थे, श्रीराम जी यहां से अयोध्या से लेकर चित्रकूट तक, दंडकारण्य तक, बाद में रामेश्वरम् तक, बाद में श्रीलंका तक गये। कितनी नदियों में उन्होंने स्नान किया होगा। परशुराम तो नित्य हमेशा भ्रमण करता रहता है। ऐसी कौनसी भी नदी नहीं जिसमें परशुराम ने स्नान नहीं किया है। श्रीकृष्ण भगवान ने कितनी जगह स्नान किया होगा, कहां से पानी पिया होगा। ये सभी पानी कहां है, इसी पानी में है ना।
हम एक मूर्ति पर अभिषेक करके उसका जल पीते हैं, हमें कितना अच्छा लगता है, ये तीर्थ है करके। जहां जब ये सारे स्वरुप चल रहे थे पृथ्वी पर, तभी उन्होंने जिस जल से स्नान किया है, वही जल फिरसे आकाश में जाकर मेघ बनकर बरसा है, वही जल आता रहता है।
हमें जानना चाहिये, इसलिये इस जल में बहुत बडी ताकद होगी, नहीं, है ही। सिर्फ ये ताकद है, ये हमे हासिल करनी होती है। देखिये अपने अपने गाँव में टी. व्ही आ गया, टी. व्ही का कनेक्शन आ गया है, टेलिफोन आ गया। हमने अपने घर में instrument भी लिया, लेकिन उनका कनेक्शन नहीं होता तब तक क्या आप टेलिफोन का या टी. व्ही का इस्तेमाल कर सकते हैं? No, cannot. ये जो कनेक्शन है, ये जल में जो उर्जा है, ताकद है, ये त्रिविक्रम की है। अपाम् न पात्।
देखिये गगन में जो clouds हैं, बादल हैं, उनमें जो पानी है वो कौन पकड के रखता है ऊपर? और जब गिरता है तो नीचे क्यों गिरता है? ये बादल में कोई कुछ प्लॅस्टिक की थैली नहीं है बाजू में कि अंदर पानी है, प्लॅस्टिक को या बलून को पिन लगाया बाजू से और पानी नीचे आया। Its not so. It is its own mechanism. ये जो ताकद है, ये जो ऊर्जा है, energy है, जल को ऊपर रखने की अपाम् न पात्। अप् - आप यानी जल। जल को नीचे न गिरने देने वाली ताकद। वही ताकद है, जो यहां से जल को ऊपर भी लेके जाती है। वो ऊपर जाके शुद्ध पीने लायक पानी बन जाता है। इतनी सारी शुद्धता करने की ताकद जिसकी है, यानी तीन कदम एक साथ चलने की ताकद जिसकी है, इसलिये उसे त्रिविक्रम कहते हैं।
त्रिविक्रम एकसाथ तीन कदम चलते हैं, इस बारे में हमारे सद्गुरु श्री अनिरुद्ध ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥