संघर्ष से विकास होता है (The Struggle brings the Growth) - Aniruddha Bapu
परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २८ एप्रिल २०१६ के पितृवचनम् में 'संघर्ष से विकास होता है', इस बारे में बताया।
संघर्ष क्या है? संघर्ष। कौन सही या कौन गलत ये decide करने के लिये नहीं होता। संघर्ष होता है, विकास के लिये। संघर्ष किस लिये होना चहिये? विकास के लिये। मेरी भी भलाई हो और सामनेवाले की भी भलाई हो।
जैसे, स्कूल में देखो, डिबेट रहती है, वाद विवाद स्पर्धा। दो ग्रुप्स हैं, कोई एक विषय पर डिस्कशन चल रहा ह॥ अगर वो हेल्दी है, एक दूसरे के साथ फाईट भी कर रहा है, फाईट यानी not boxing, argument कर रहा है, ये arguments क्या है, arguments के पीछे आपका हेतु ही ये है, एक दुसरे को परास्त करना, तो वो युद्ध हो गया। अगर आप का दोनों का, पार्टी, जो यहां बैठी है, यहां बैठी है, दोनो में चर्चा चल रही है, उसमे दोनों का हेतु ये है कि हमें सच क्या है वो जानना है तो ये संघर्ष हुआ, युद्ध नहीं।
लेकिन हम क्या करते हैं, हम लोग हमारी जिन्दगी में, संघर्ष को ही युद्ध बना देते हैं। संघर्ष से विकास होता है, युद्ध से हानि होती है। संघर्ष से कभी हानि नहीं होती। हम लोग ये दो लफ़्ज का, शब्द का अर्थ ही नहीं जानते, फर्क ही नहीं जानते। संघर्ष है, जो विकसनशील है,; वहीं, युद्ध जो है, वो विकसनशील नहीं होता। एक दूसरे से रास्ते में मारामारी कर रहे हैं, तो संघर्ष नहीं है वो।
हम बडे बडे वर्ड्स का इस्तेमाल जरुर कर सकते है, हमारे मन को जो लुभाएँ, भाएँ, अच्छे लगे, वो बस! तो वो सही meaning उनका नही होता, सही अर्थ नही होता। जो सही मायने में अगर हमे देखना है, तो संघर्ष क्या होता है, विकास की ओर लेके जाता है, destruction की ओर नहीं। और war is destruction, definitely. युद्ध जो है, वो destruction को लेके आगे चला जाता है। ‘संघर्ष से विकास होता है’ इस बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।