एक ही तत्त्व के विभिन्न स्तरों पर अलग अलग रूप में प्रकट हो सकता है (The same principle may manifest through various forms) - Aniruddha Bapu
परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने अपने १८ फ़रवरी २०१६ के पितृवचनम् में ‘एक ही तत्त्व के विभिन्न स्तरों पर अलग अलग रूप में प्रकट हो सकता है’ इस बारे में बताया।
अनिरुद्ध बापू ने पितृवचन के दौरान यह बताया कि ये जो ब्रह्मणस्पति हैं, गणपति हैं, जिन्हें हम मूलार्क गणेश कहते है, यह एक ही principal के, एक ही तत्त्व के विभिन्न स्तरों पर होनेवाले रूप हैं, स्वरुप हैं, कार्य हैं।
बापू ने आगे कहा कि हम सोचते हैं कि अलग अलग स्तर क्या होते हैं, levels क्या होती हैं। इसे समझना simple है। SSC छात्र की उम्र १४ से १५ साल और १२ वी छात्र कि उम्र १६ और १८ साल है। अगर आप पूछेंगे कि जो आज १६ साल का है, वही जब १४ साल का था, वह किधर है? तो वो छात्र क्या कहेगा? की मै १४ और १६ साल का तो मै ही हूं। यानी १४ और १६ साल का वह एक ही है या अलग अलग है? एक ही है ना। अभी थोडा सा आगे जाऎगे। एक २५ साल का लडका है। बिन शादीशुदा है, घूम रहा है आराम से, उसे अगर पूछा जाये कि कैसे हो? वो कहेगा मस्त हूं, मजे में हूं, चुस्त हूं।
कितने साल के हो? २५ साल का हूं। तुम्हारा नाम क्या है? xyz। मान लीजिए कि शादी के १० साल बाद पूछा कैसे हो तो कहेगा ठीक हूं। शादी के पहले वाला और बादवाला वही है ना । फ़िर भी कितना फ़रक होता है ना। तो यह जो फ़रक होता है, ये changes होते हैं, जो बदलाव आते हैं। स्वभाव में, वर्तन में, आचरण में, क्रिया में, तत्परता में, कौशल्य में, इस सभी के साथ जो इन्सान आगे बढता है, यह सब अलग अलग स्तर पर रहता है। देखिये एक इन्सान है। उसके साथ तीन औरतें हैं, एक उसकी मां है, एक उसकी बीवी है और एक उसकी बहन है, तीनों का अगर जन्मदिन है, तो वो उन्हें आलिंगन देता है। तो तीनों के साथ उसका भाव कितना अलग अलग होता है! एक ही इन्सान है ना? right। उम्र वही है। यह स्तर है। कोई बडी बडी ऎसी बाते नहीं है। Right समझ गये।
‘एक ही तत्त्व के विभिन्न स्तरों पर अलग अलग रूप में प्रकट हो सकता है’ इस बारे हमारे सद्गुरु बापू ने अपने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं।