संघर्ष के बिना जीवन यह बस एक कल्पना है (The Life Without Struggle is Just a Fantasy) - Aniruddha Bapu
परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २८ एप्रिल २०१६ के पितृवचनम् में 'संघर्ष के बिना जीवन यह बस एक कल्पना है', इस बारे में बताया।
मूलाधार चक्र में लं बीज में ही समाहित है। ये सं बीज है क्या? ध्यान में रखिये कि मूलाधार चक्र के साथ यानी हमारी हर एक की मूल प्रकृति के साथ ये जुडे हुए हैं।
सं संघर्षे। सं बीज ये संघर्ष का बीज है। संघर्ष, हर किसी को संघर्ष करना ही पडता है जीवन में, हर पल। चाहे करोडपति के घर में पैदा हो या किसी छोटे घर में पैदा हो, चाहे highly qualified educated के घर में पैदा हो, या चाहे अनपढ के घर में पैदा हो, चाहे स्त्री हो या पुरुष, चाहे कुत्ता हो, चाहे बिल्ली हो, चाहे पंछी हो, चाहे कीटक हो।
हर इंसान को लगता है कि मुझे जीवन में संघर्ष करना पडता है, बाकी लोगों को सब आसानी से मिलता है। This is wrong. ये गलत है। ये बहुत बडी गलती हम हमेशा बार बार करते हैं।
जानना चाहिये कि संघर्ष यह हमारे मूलाधार चक्र का ही एक बीज है। यानी हमारी जिंदगी में संघर्ष हर पल है। हम उस संघर्ष को कैसे स्वीकार करते हैं, इस पर सब कुछ निर्भर है|
'संघर्ष के बिना जीवन यह बस एक कल्पना है', इस बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।