अमरिका सह पश्चिमी देश और रशिया में तनाव बढ़ने के आसार
रशिया की सीमा के पास युद्धाभ्यास के लिए नाटो के ४५ हजार सैनिकों की तैनाती
भव्य युद्धाभ्यास में ‘इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेअर’ का भी समावेश
ब्रुसेल्स/मॉस्को – ‘सेव्हिएत संघराज्य’ के विघटन के बाद का सबसे बड़े युद्धाभ्यास के तौर पर पहचाने जाने वाले ‘ऑपरेशन ट्रायटंड जंक्चर १८’ के लिए नाटो लगभग ४५ हजार सैनिक रशियन सीमा के पास उतरने वाले हैं, यह सामने आया है।रशियन सीमा से जुड़कर स्थित नोर्वे, स्वीडन, फ़िनलैंड, आर्क्टिक और बाल्टिक समुद्री क्षेत्र में अभ्यास का आयोजन किया गया है।सदस्य देशों पर दुश्मन का हमला हुआ तो ‘नाटो’ की प्रतिक्रिया और ‘इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेअर’ इस पर अभ्यास में जोर दिया जाएगा, ऐसी जानकारी नाटो के वरिष्ठ अधिकारी एडमिरल जेम्स फॉगो ने दी है।
पिछले महीने में ही रशिया ने तीन लाख से अधिक सैनिकों के समावेश वाले ‘वोस्तोक-२०१८’ इस युद्धाभ्यास का आयोजन करके यूरोप और अमरिका को चेतावनी दी थी।इस अभ्यास के माध्यम से रशिया ने अपने रक्षा बल का सामर्थ्य दिखा दिया है, ऐसा दावा रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन और लष्करी अधिकारियों ने किया था। इस पृष्ठभूमि पर नाटो ने ‘ऑपरेशन ट्रायटंड जंक्चर १८’ के बारे में घोषित की हुई जानकारी महत्वपूर्ण है।
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अतिप्रगत मिसाइलों का निर्माण करने पर अमरिका की रशिया को धमकी
ब्रूसेल्स: रशिया ने १९८७ वर्ष में अमरिका के साथ की अंतर्राष्ट्रीय न्यूक्लियर फोर्सस ट्रीटी का उल्लंघन किया है और नए मिसाइल का निर्माण नहीं रोका तो अमरिका को करार का भाग न होनेवाली बातें करने के लिए कठोर कदम उठाने होंगे, ऐसी कड़ी चेतावनी अमरिका के नाटो प्रतिनिधि ने दी है। अमरिका के नाटो के प्रतिनिधि के.बेली हचिसन ने हालही में एक पत्रकार परिषद लेकर अमरिका एवं नाटो में संबंध तथा अन्य मुद्दों पर अपनी भूमिका प्रस्तुत की है। उस समय रशिया से हो रहे करार के उल्लंघन के बारे में आक्रामक भूमिका के संकेत दिए हैं।
पिछले कई वर्षों से रशिया परमाणुशस्त्र के बारे में करार का उल्लंघन करता आ रहा है और इस बारे में रशिया को लगातार सबूत भी दिए जा रहे हैं। रशिया से मध्यम अंतर के मिसाइल विकसित किए जा रहे हैं। अमरिका को करार से बाहर नहीं निकलना है और उसका उल्लंघन भी नहीं करना है। जिसकी वजह से राशिया को भी उसका पालन करना जरूरी है। रशिया अगर ऐसा नहीं कर रहा है, तो उसपर राजनैतिक दबाव बढ़ाना होगा। उस समय अमरिका के साथ अन्य विकल्प भी उपलब्ध होंगे, इसका अहसास रशिया को देना चाहिए ऐसी चेतावनी हचिसनने दी है।
रशिया ने ९एम७२९ यह मध्यम अंतर के मिसाइल विकसित किए हैं और वह मध्यम अंतर के होने का दावा अमरिका से किया जा रहा है। दोनों देशों में हुए करार के अनुसार ३०० से ३४०० मील की क्षमता होने वाले बैलेस्टिक अथवा क्रूज मिसाइल विकसित नहीं किए जा सकते। अथवा उसके परिक्षण नहीं किए जा सकते। पर ९एम७२९ के माध्यम से रशिया ने करार का उल्लंघन करने का दावा अमरिका ने अपने आरोपो से किया है।
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रशिया की तरफ से ‘माइक्रोवेव गन्स’ के परिक्षण शुरू – सूत्रों का दावा
मॉस्को – सिर्फ चार महीनों पहले ही रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने, रशिया के नए हथियार दशक भर में वर्चस्व में होंगे, ऐसा दावा किया था। इस दावे की पुष्टि करने वाला वक्तव्य रशिया के हथियार निर्माण कंपनी ने किया है और रशिया ने माइक्रोवेव गन्स का परिक्षण शुरू करने की जानकारी दी है।
विश्व के प्रमुख देशों में वर्तमान में हाइपरसोनिक, लेझर और अंतरिक्ष में इस्तेमाल किए जा सकते हैं ऐसे ‘स्पेस वेपन्स’ विकसित करने के लिए जोरदार प्रतियोगिता शुरू है। इस प्रतियोगिता में अमरिका, रशिया, चीन, ब्रिटन, इस्राइल जैसे देशों ने अग्रक्रम प्राप्त किया है और लगभग हर महीने में नए हथियारों का परिक्षण की अथवा विकसित करने की जानकारी दी जाती है। कुछ दिनों पहले चीन ने एक ही समय पर तीन हाइपरसोनिक मिसाइलों का प्राथमिक परिक्षण करने की घोषणा की थी। उसके बाद अब रशिया की तरफ से ‘माइक्रोवेव वेपन्स’ के परीक्षणों की जानकारी सामने आई है।
आगे पढ़े : http://www.newscast-pratyaksha.com/hindi/sources-claim-russia-initiated-testing-microwave-guns/रशिया एवं आतंकवादी संगठनों के सायबर हमलों का मुकाबला करने के लिए ब्रिटन ऑफेंसिव सायबर फोर्स तैयार करेगा
लंदन – रशिया के साथ आतंकवादी संगठनों से होनेवाले बढ़ते सायबर हमलों को प्रत्युत्तर देने के लिए ब्रिटेन ने ऑफेंसिव सायबर कोर्स की तैयारी शुरू की है। ब्रिटेन के रक्षा विभाग एवं गुप्तचर यंत्रणा ‘जीसीएचक्यू’ इसके लिए साथ आए हैं। जिसमें लगभग २००० लोगों का समावेश किया गया है, ऐसा कहा जा रहा है। ब्रिटेन के रक्षा मंत्री गेविन विलियमसन ने रविवार को एक कार्यक्रम के दौरान इस संदर्भ में वृत्त का समर्थन किया है।
कुछ महीनों पहले ब्रिटेन में रहनेवाले भूतपूर्व रशियन जासूस सर्जेई स्क्रिपल इनके हत्या का प्रयत्न हुआ था। इसके पीछे रशिया होने का आरोप करके ब्रिटेन ने रशिया पर आक्रामक प्रतिबंधों की घोषणा की थी। उसके बाद अमरिका ने सिरिया में किए हमलो को भी ब्रिटेन ने सहयोग किया था। ब्रिटेन के इन गतिविधियों का प्रत्युत्तर के तौर पर रशिया ब्रिटेन पर बड़ा एवं आक्रामक सायबर हमला करेगा ऐसी गंभीर चेतावनी तत्कालीन विदेशमंत्री बोरिस जॉनसन तथा भूतपूर्व नौदल प्रमुख एडमिरल लॉर्ड वेस्ट एवं तज्ञोने दी थी।
रशिया के संभाव्य हमलो का मुकाबला करने के लिए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने ब्रिटिश यंत्रणा को आक्रामक सायबर हमलो के लिए तैयार रहने के आदेश दिए थे। ब्रिटेन के नेतृत्व से इस बारे में लगातार चेतावनी जा रही है और रक्षा मंत्री विलियमसन एवं गुप्तचर यंत्रणा से नए दल के बारे में दिए जानकारी ध्यान केंद्रित करने वाली ठहरी है।
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